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पीटी उषा का पूरा नाम पिलाउल्लाकांडी थेक्केपरांबिल उषा है। - पीटी उषा भारत की महानतम एथलीटों में से एक हैं, जिन्हें अक्सर देश की "क्वीन ऑफ ट्रैक एंड फील्ड" कहा जाता है।

पीटी उषा लंबे स्ट्राइड के साथ एक बेहतरीन स्प्रिंटर थीं। वो 1980 के दशक में अधिकांश समय तक एशियाई ट्रैक-एंड-फील्ड इवेंट्स में हावी रहीं। जहां उन्होंने कुल 23 पदक जीते, जिनमें से 14 स्वर्ण पदक थे। जहां भी वो दौड़ने जाती, वो दर्शकों की फेवरेट बन जाती थीं।

केरल के कुट्टाली गाँव में जन्मी, पीटी उषा ने पास के पय्योली में अध्ययन किया। बाद में उनको निकनेम के रूप में ’द पय्योली एक्सप्रेस’ का नाम मिला। उनकी प्रतिभा का पता तब चला जब वो महज नौ साल की थीं।

एक स्कूल की दौड़ में चौथी कक्षा के छात्रा ने देखते ही देखते स्कूल के चैंपियन को हरा दिया, जो उससे तीन साल सीनियर था। इसने शिक्षकों को हैरान कर दिया। अगले कुछ सालों में उनकी क्षमताओं ने उन्हें स्पोर्ट्स स्कूलों के पहले बैच में से जगह दिलाई, जिसे केरल सरकार ने स्थापित किया था।

पीटी उषा ने राज्य और नेशनल गेम्स में अपना दबदबा कायम रखा और 16 साल की उम्र में ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली तत्कालीन सबसे कम उम्र की एथलीट बन गईं, जब उन्हें मास्को में 1980 के खेलों के लिए भारतीय दल में शामिल किया गया था।

उषा तब फाइनल के लिए क्वालिफाई नहीं कर सकी थीं, लेकिन 1982 के एशियाई खेलों में भारतीय दर्शकों का दिल जीत लिया, जब उन्होंने 100 मीटर और 200 मीटर में रजत पदक जीता।

वो 1983 की एशियाई चैंपियनशिप में 200 मीटर में रजत पदक जीतने मे कामयाब रहीं और जब उन्होंने 400 मीटर में स्वर्ण पदक जीता, तो उनके कोच ओ.एम. नांबियार ने सुझाव दिया कि वह 400 मीटर बाधा दौड़ की कोशिश करें।

ये भारत के सबसे यादगार ओलंपिक क्षणों में से एक को ट्रैक पर लाएगा।

लॉस एंजेलिस 1984 में एक फिट, बेहतर-प्रशिक्षित पीटी उषा फिर से अपनी छाप छोड़ने के लिए तैयार थीं।

क्वालिफाइंग में प्रभावशाली प्रदर्शन के साथ 400 मीटर बाधा दौड़ के फाइनल में पहुंचने के बाद, उषा केवल एक सेकंड से भी कम समय से कांस्य पदक से चूक गईं।

एक गलत शुरुआत पर काबू पाने के बाद, भारतीय 100 मीटर स्प्रिंट की तरह अंतिम समय में दौड़ी थीं। हालांकि उनका पैर कांस्य विजेता क्रिस्टियाना कोजोकारू से आगे था, लेकिन उन्होंने अपनी छाती को फिनिश लाइन से आगे नहीं किया था।

ये एक ऐसा पल था जिसने पीटी उषा को खेल की बुलंदियों पर पहुंचा दिया और महज 20 साल की उम्र में खेलों की दुनिया में उन्होंने अपना नाम बनाया। इससे भी महत्वपूर्ण बात ये बात थी कि देश एथलेटिक्स की की ओर बढ़ने लगे।

जकार्ता में 1985 की एशियाई चैंपियनशिप में पीटी उषा ने पांच स्वर्ण पदक और एक कांस्य पदक जीते और ये सारे पदक उन्होंने पांच दिनों के अंतराल जीता, उनके अंतिम दो स्वर्ण एक-दूसरे के आधे घंटे के भीतर आए।

सियोल 1986 के एशियन गेम्स में उन्होंने चार स्वर्ण पदक और एक रजत पदक जीते, जिनमें से प्रत्येक एशियाई रिकॉर्ड समय के साथ दर्ज हुआ था। इन दोनों एशियाई राजधानियों में उन्होंने अपने नाम की गुंज सुनी।

हालांकि, दो साल बाद सियोल 1988 ओलंपिक में उषा पिछले चार साल के अपने कारनामों को दोहरा नहीं सकीं। अपनी शुरुआती हीट में सातवें स्थान पर रहीं।

उषा ने 1990 में संन्यास की घोषणा की, लेकिन उससे पहले उन्होंने 1989 के एशियाई चैंपियनशिप और 1990 के एशियाई खेलों में चार स्वर्ण और पांच सिल्वर अपने नाम किया।

हालांकि कहानी में एक मोड़ आना बाकी था। चार बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता एवलिन एशफ़ोर्ड से प्रेरित और उनके पति श्रीनिवासन (एक पूर्व राष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी) से सहयोग मिलने के बाद, पीटी उषा ने ट्रैक पर वापसी करने का फैसला किया।

उनकी अविश्वसनीय प्रतिभा की झलक तब देखने को मिली, जब उन्होंने 1994 में एशियाई खेलों में 4x400 मीटर रिले रजत पदक और 1998 एशियाई चैंपियनशिप में चार पदक जीते। सिडनी 2000 ओलंपिक में ऐसा लग रहा था कि वो आखिरी बार तूफान की तरह दौड़ना चाहती हैं।

हालांकि, पीटी उषा के घुटने की समस्या शुरू हो गई, जिसका 1995 में एक चोट के बाद ऑपरेशन करना पड़ा था, जिससे उन्हें लगभग चार महीने तक खेल से बाहर रहना पड़ा। इसके साथ ही वापसी के सभी रास्ते भारतीय ट्रैक एंड फील्ड की क्वीन के लिए धूंधले होते गए। पीटी उषा ने अपनी संन्यास की घोषणा कर दी।

“मैंने जो कुछ भी हासिल किया है मैं उससे संतुष्ट हूं। ओलंपिक पदक को छोड़कर मैंने जो भी लक्ष्य रखा, मैंने हासिल किया। मैं अब ये सुनिश्चित करना चाहती हूं कि मेरी शिष्या जीत जाए!" महान एथलीट ने एक इंटरव्यू में ‘उषा स्कूल ऑफ एथलेटिक्स’ का जिक्र करते हुए कहा था।

केरल के कोझीकोड में उनकी ऐकेडमी आज युवा एथलेटिक्स आशाओं और उनकी प्रतिभा को गाइड करती है। ये भारत के भविष्य के सितारों को उस ऊंचाई तक पहुंचाने का प्रयास है जो उन्होंने किया था।

पीटी उषा ने एक एथलीट के रूप में रिटायर होने के बाद एक एडमिनिस्ट्रेटर रूप में भारतीय खेलों में अपनी सेवा दी है। 2022 में आईओए के निर्विरोध चुनाव लड़ने से पहले वह भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (AFI) में जूनियर चयन समिति की अध्यक्ष थीं।

दिसंबर 2022 में आईओए अध्यक्ष बनने के बाद पीटी उषा ने कहा, "मेरे सफ़र के अनुभवों की वजह से मैं इस पद के मूल्य को अच्छी तरह से जानती हूं। मैं एक एथलीट और एक कोच के दर्द को महसूस करती हूं। इन सबसे अधिक मैं सही मायनों में एक एडमिन की भूमिका को भी बख़ूबी समझती हूं।

पीटी उषा ने कहा, "मैं ओलंपिक मूल्यों को बनाए रखने और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल महासंघों के साथ काम करने के लिए तत्पर हूं, ताकि हम यह सुनिश्चित कर सकें कि भारत एक खेल महाशक्ति बनने की राह पर नए आयामों को हासिल करे"

ओलंपिक रिजल्ट

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पी. टी. उषा प्रेरणादायक जीवनी

साल 1979 से उन्होंने अपनी खेल प्रतिभा का जौहर पूरे विश्व के सामने दिखाया, और दुनिया के सामने भारत को गौरान्वित महसूस करवाया। वहीं सर्वश्रेष्ठ महिला एथलीट पीटी उषा इन दिनों केरल के कोयीलान्घ में एक एथलीट स्कूल का संचालन कर बच्चों को ट्रेनिंग देती है, चलिए आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में एशिया की सर्वश्रेष्ठ महिला एथलीट के जीवन और उनके करियर के बारे में बताएंगे –

PT Usha

पी. टी. उषा की जीवनी | PT Usha in Hindi

जन्म और परिवार –.

केरल के कोज्हिकोड़े, जिले के पय्योली गांव के एक व्यापारी के घर में 27 जून, साल 1964 को पीटी उषा ने जन्म लिया था। वे ईपीएम पैतल और टीवी लक्ष्मी की लाडली संतान हैं।

आपको बता दें कि उनके पिता एक कपड़े के व्यापारी हैं, जबकि मां घरेलू गृहिणी हैं।  पीटी उषा का पूरा नाम पिलावुलकंडी थेक्केपारंबिल उषा है। उन्हें बचपन में स्वास्थ्य से जुड़ी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था, लेकिन फिर बाद में स्पोर्ट्स एक्टिविटीज के चलते उनकी हेल्थ में सुधार आता चला गया।

उनका बचपन से ही खेल-कूद में काफी रुझान रहा है। वहीं जब वे 7वीं क्लास में पढ़ती थी, तब उन्होंने एक टीचर के कहने पर क्लास  की चैम्पियन छात्रा के साथ रेस लगाई थी और वे ये रेस जीत गईं थी। तभी से उनके मन में खेल के प्रति रुझान और अधिक बढ़ गया।

आपको बता दें कि साल 1976 में केरला सरकार ने महिलाओं के लिए एक स्पोर्ट सेंटर की शुरुआत की थी, उस वक्त पीटी उषा ने जिले का प्रतिनिधित्व करने का फैसला लिया था, वहीं जब वे 12 साल की थी, तब उन्होंने नेशनल स्पोर्ट्स गेम्स में चैंपियनशिप जीती थी और तभी से वे लाइमलाइट में आईं थी।

इंटरनेशनल लेवल पर खेल करियर –

16 साल की पीटी उषा ने साल 1980 में कराची में हुए ‘पाकिस्तान ओपन नेशनल मीट’ में हिस्सा लेकर अपने इंटरनेशनल लेवल पर अपने खेल करियर की शुरुआत की थी, इसमें उन्होंने 4 गोल्ड मैडल जीतकर भारत का सिर गर्व से ऊंचा किया था।

इसके बाद साल 1982 में पीटी उषा ने वर्ल्ड जूनियर इनविटेशन मीट में 1 गोल्ड और 1 सिल्वर मैडल जीता।

इसके साथ ही इसी साल ‘दिल्ली एशियन गेम्स’ मे 100 मीटर और 200 मीटर की रेस में 2 सिल्वर मेडल जीतकर देश का मान रखा था।

पीटी उषा की खेल प्रतिभा लगातार निखरती ही जा रही थी और वे ऊंचाइयों के नए मुकाम हासिल कर रही थीं, पीटी उषा ने साल 1983 में भी कुवैत में हुए एशियन ट्रैक एंड फील्ड चैम्पिनशिप में 400 मीटर की रेस में गोल्ड मैडल जीतकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया था।

इसके बाद पी टी उषा ने साल 1984 में लॉसएंजिल्स में हुए ओलंपिक में  चौथा स्थान हासिल किया था, वहीं ओलंपिक के फाइनल राउंड में पहुंचने वाली वे पहली भारतीय महिला एथलीट भी बनी थी। हालांकि, वे इसके फाइनल राउंड में 1/100 सैकेंड्स के मार्जिन से हार गई थी।

वहीं साल 1985 में  जकार्ता में हुए ‘एशियन ट्रैक एंड फील्ड चैम्पियनशीप’ में पीटी उषा ने 5 गोल्ड और 1 ब्रोंज मैडल जीता था। इसके बाद 1986 में सीओल में हुए 10 वें ‘एशियन गेम्स’ में 4 रेसों में जीत हासिल की और एक बार फिर गोल्ड मैडल भारत के नाम कर दिया।

इसके बाद साल 1989 में दिल्ली में आयोजित ‘एशियन ट्रैक फेडरेशन मीट’ में  4 गोल्ड मैडल एवं 2 सिल्वर मैडल जीते।

और फिर साल 1990 में ‘बीजिंग एशियन गेम्स’ में 3 सिल्वर मैडल अपने नाम किए। इसके बाद साल 1991 में उन्होंने वी श्रीनिवासन से शादी भी ली और दोनों को एक बेटा भी हुआ।

इसके बाद साल 1998 में उन्होंने जापान के फुकुओका में हुए ‘एशियन ट्रैक फेडरेशन मीट’ में 200 मीटर एवं 400 मीटर की रेस में ब्रोंज मैडल जीता।और फिर साल 2000 में पीटी उषा ने फाइनल तौर पर एथलेटिक्स से संयास ले लिया।

आपको बता दें कि पीटी उषा ने इंटरनेशनल लेवल पर कुल 101 पदक व नेशनल और स्टेट लेवल पर 1000 से ज्यादा पदक और ट्रॉफी जीतकर अनोखा कीर्तिमान बनाया है।

वर्तमान में वे अपनी स्पोर्ट्स एकेडमी में यंग एथलीट को ट्रेनिंग देती हैं, जिनमें टिंटू लुक्का भी शामिल हैं, जो कि साल 2012 में लंदन में हुए ओलंपिक में वीमेन सेमीफाइनल 800 मीटर की रेस को क्वालिफाइड कर चुकी हैं।

सम्मान –

पीटी उषा को उनकी हुनर का बेहतर प्रदर्शन करने के लिए साल 1984 में  अर्जुन पुरस्कार और देश के सर्वोच्च सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें एशिया की ग्रेटेस्ट वीमेन एथलीट, मार्शल टीटो अवॉर्ड, वर्ल्ड ट्रॉफी समेत तमाम पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।

इस तरह पीटी उषा ने अपनी मेहनत, लगन और काबिलियत के बल पर नए कीर्तिमान स्थापित कर न सिर्फ देश का मान बढ़ाया है बल्कि बाकी लोगों के लिए भी एक मिसाल कायम की है।

एक नजर में  –

  • 12 साल की उम्र में उन्होंने कन्नूर के ‘स्पोर्ट्स स्कूल’ में प्रवेश लिया वहा उन्हें सर्वाधिक सहयोग अपने प्रशिक्षक श्री. ओ. पी. नब्बियारका मिला।
  • 1978 को केरल में हुए अंतरराज्य मुकाबले में उषा ने 3 स्वर्ण प्राप्त किये।
  • 1982 के एशियाई खेलो में (Asian Games) में उसने 100 मीटर और 200 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता था। कुवैत में भी इन्ही मुकाबलों में उसने दो स्वर्ण पदक जीते थे। राष्ट्रीय स्तर पर उषा ने कई बार अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दोहराया।
  • 1984 के लॉस एंजेलस ओलंपिक खेलो में भी चौथा स्थान प्राप्त किया। यह गौरव पाने वाली वे भारत की पहली धाविका है। इसमें वे 1/100 सेकिंड्स से पिछड गयी थी।
  • पीटी उषा ने 1983 से 1989 के बीच हुई एशियान ट्रैक एंड फिल्ड चैम्पियनशिप में 13 स्वर्णपदक, 3 रजत और एक कांस्य पदक प्राप्त किये।
  • जकार्ता की एशियन चैम्पियनशिप में भी उन्होंने स्वर्ण पदक लेकर अपने को बेजोड़ प्रमाणित कर दिया। ‘ट्रैक एंड फिल्ड मुकाबलों’ में लगातार 5 स्वर्ण पदक एवं एक रजत पदक जीतकर वह एशिया की सर्वश्रेष्ठ धाविका बन गई है।

घुटने में दर्द के कारण उषा ने रीटायर्ड होने का निर्णय लिया, लेकिन उनकी ‘ उषा अकादमी ’ द्वारा भारतीय एथेलेट्स निर्माण करने का कार्य उन्होंने शुरु रखा प्रशिक्षण और मेहनत के दम पर भारतीय भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एथलेटीक्स में महत्वपूर्ण प्रदर्शन कर सकते है, ये आत्मविश्वास भारतीय खिलाडियों में निर्माण करने का श्रेय पी. टी. उषा को जाता है।

11 thoughts on “पी. टी. उषा प्रेरणादायक जीवनी”

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she is a great women in running

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THANKS FOR COMMENT PT USHA IS GREAT WOMEN AND GREAT PLAYER I LOVE PT USHA

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p t usha is really a very good runner we should be really proud of her

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Nice player

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mai Akshay kumar aap shabhi ko bahut bahut bubark bad dena chahta hu

*Laboer never invain*

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कौन हैं पी टी उषा? (PT Usha) सम्पूर्ण जीवन परिचय | जन्म, शिक्षा, पूरा नाम, दौड़ में स्वर्ण पदक जितने तक का सफर

P.T. Usha Biography in Hindi

P T Usha Biography in Hindi :- आज अगर भारत में किसी से भी तेज दौड़ने वाली महिला के बारे में पूछा जाए तो बच्चे बच्चे के मुंह से सबसे पहले पीटी उषा का नाम आता है। पीटी ऊषा ने लगभग दो दशकों तक भारत को एथलीट के खेल में सम्मान दिलाया है। P.T. Usha को किसी भी परिचय की आवश्यकता नहीं है। पीटी उषा का जन्म 27 जून 1964 में केरल के पय्योली नाम के जगह पर हुआ। उन्होंने ट्रैक पर अपने तेज दौड़ने का जादू कुछ इस तरह बिखेरा कर उन्हें “क्वीन ऑफ इंडियन ट्रैक” नाम दिया गया। पीटी ऊषा का पूरा नाम “पिलावुळ्ळकण्टि तेक्केपरम्पिल् उषा” हैं। अगर आप पी. टी. ऊषा के बारे में जानना चाहते हैं तो आज इस लेख में पीटी ऊषा बायोग्राफी के जरिए इस महान हस्ती के कुछ खास बातों को सरल शब्दों में बताने का प्रयास किया गया है।

पीटी उषा ने लगभग दो दशक तक सबसे तेज दौड़ने वाली महिला के रूप में भारत को बहुत सम्मान दिलाया है। उन्होंने एथलीट के खेल में ओलंपिक में गोल्ड मेडल हासिल किया है। आज पीटी ऊषा केरल में एक एथलीट स्कूल चलाती है और अन्य बच्चों को इस मुकाम तक पहुंचने में मदद करती है। पीटी उषा की एक आधिकारिक वेबसाइट है जहां से आप इनके स्कूल के बारे में अधिक जानकारी ले सकते हैं।

P T Usha Short Profile

पीटी उषा जीवन परिचय | pt usha biography in hindi.

पीटी उषा का पूरा नाम पिलावुलकंडी थेक्केपारंबिल उषा है। उनका जन्म 27 जून 1964 में केरल के पय्योली नाम की एक गांव में हुआ। उनके पिता का नाम ई पी एम पीतल है, उनके माता का नाम टीवी लक्ष्मी है। पीटी उषा बचपन से बहुत पतली और शारीरिक रूप से बहुत ही कमजोर थी। मगर अपनी प्रारंभिक शिक्षा के दौरान उन्होंने अपने स्वास्थ्य को सुधारा और उसके बाद लोगों को उनके अंदर एक एथलीट नजर आने लगा। 1976 में केरल के कन्नूर में सरकार ने एक सरकारी अथिलीट सेंटर शुरू किया। उस वक्त पीटी ऊषा 12 साल की थी जब उनका चयन कुन्नूर के इस एथलीट सेंटर में अन्य 40 महिलाओं के साथ हुआ था। यहां पर ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्होंने 1979 में पहली बार नेशनल एथलीट कंपटीशन में जीत हासिल की। यह वह समय था जब पीटी उषा ने पहली बार दौड़ के क्षेत्र में गोल्ड मेडल हासिल करके अपने क्षेत्र का नाम रोशन किया।

इसके बाद पीटी उषा ने अलग-अलग तरह की प्रतियोगिता में हिस्सा लेना शुरू किया और हर जगह हर देश के लिए गोल्ड मेडल जीतावाया। पीटी उषा को उनके एथलीट प्रदर्शन की वजह से अलग-अलग तरह के नाम से सम्मानित किया गया।

पी टी उषा क्वीन ऑफ़ इंडियन ट्रैक

पीटी उषा को क्वीन ऑफ इंडियन ट्रैक या गोल्डन गर्ल के नाम से जाना चाहता है। इसके अलावा उन्हें खेल के क्षेत्र में अलग-अलग तरह के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। पीटी उषा ने उस दौर में भारत को ओलंपिक और अन्य खेल में गोल्ड मेडल जितवाया जब भारत देश में महिलाओं को अधिक छूट नहीं दी जाती थी। पीटी उषा ने सबसे पहले 1979 में सबसे पहले नेशनल लेवल पर गोल्ड मेडल जीतकर खुद को अंतर्राष्ट्रीय खेलों के काबिल बताया। इसके बाद 1980 में “पाकिस्तान ओपन नेशनल मीट” में एथलीट के तौर पर हिस्सा लेकर उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की। कराची में उन्होंने भारत को लगातार 4 गोल्ड मेडल जीतवाया। पाकिस्तान में भारत को पीटी उषा ने चार स्वर्ण पदक एथलीट में दिलवाया जिसके बाद वह भारत में एक प्रचलित एथलीट बन गई।

पीटी उषा की उपलब्धियाँ | Achievements of PT Usha

  • 1982 में पीटी ऊषा वर्ल्ड इनविटेशन मीट में 100 मीटर और 200 मीटर की रेस में हिस्सा लिया जिसमें 200 मीटर में उन्होंने स्वर्ण पदक और 100 मीटर वाले में ब्रोंज मेडल जितवा कर देश का नाम वहां भी रोशन किया। इसके बाद एशिया ट्रैक एंड फील्ड नाम के रेस में 400 मीटर की रेस में हिस्सा लिया और वहां 400 मीटर की रेस में एक नया रिकॉर्ड कायम किया साथ ही गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद 1984 में पीटी उषा ने लॉस एंजेलिस ओलंपिक में 400 मीटर की रेस में हिस्सा लिया और बहुत थोड़े से मार्जिन के लिए हार गई और उन्हें ब्रॉन्ज मेडल भी नहीं मिल पाया।
  • इसके बाद 1985 में इंडोनेशिया के एशिया ट्रैक वर्ल्ड चैंपियन में उन्होंने हिस्सा लिया और 5 गोल्ड मेडल लगातार जीता। इसके बाद उन्होंने सियोल ओलंपिक में हिस्सा लिया मगर अचानक उनके पैर में चोट लग जाने की वजह से ओलंपिक खेल में सही तरीके से अपना प्रदर्शन नहीं दे पाई। इसके बाद 1990 में बीजिंग एशियन गेम्स में उन्होंने हिस्सा लिया उस में गोल्ड मेडल जीतने के बाद उन्होंने अखिलेश के खेल से संन्यास ले लिया। इसके बाद 1991 में उन्होंने श्रीनिवासन से शादी कर ली। जिसके कुछ सालों बाद सबको चौक आते हुए 1998 में 34 साल की उम्र में उन्होंने दोबारा से कमबैक किया। कुछ खेलों में भाग लेने के बाद 2000 में उन्होंने फाइनली एथलीट से पूरी तरह सन्यास ले लिया।

पीटी उषा के रिकॉर्ड | PT Usha Records

पीटी उषा के अंदर एथलीट की कला कूट-कूट कर भरी थी। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है की उन्होंने बहुत कम उम्र में बहुत सारे एथलीट रिकॉर्ड को कायम किया।

  • मात्र 13 साल की उम्र में 1977 में पीटी उषा ने केरल राज्य में राष्ट्रीय एथलीट प्रतियोगिता में एक राष्ट्रीय रिकॉर्ड कायम किया।
  • इसके बाद 1980 में 16 साल की उम्र में उन्होंने मॉस्को ओलंपिक में एथलीट प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। इसके बाद वह सबसे कम उम्र वाली महिला बनी जिन्होंने ओलंपिक में हिस्सा लिया। 
  • भारत की वह पहली महिला एथलीट बनी जिन्होंने एथलीट प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और फाइनल में अपना स्थान बनाया।
  • लॉस एंजिलिस ओलंपिक में यह पहली बार महिलाओं के लिए बाधा दौड़ को लाया गया। जिसमें 400 मीटर बाधा दौड़ में हिस्सा लेकर इस रेस को 55.42 सेकंड में खत्म करके इसे इंडिया का नेशनल रिकॉर्ड बनाया जो आज भी कायम है। 
  • 34 साल की उम्र में 1998 में उन्होंने बीजिंग में हुए एशियन गेम्स में हिस्सा लिया और अधिक उम्र में रेस जीतने वाली भारत की महिला बनी।

ओलंपिक में पीटी उषा का प्रदर्शन

पीटी उषा ने कुल 2 बार ओलंपिक के खेल में हिस्सा लिया है। दोनों बार उनका प्रदर्शन इतना अच्छा रहा है कि आज भी उस खेल को याद करके लोग दांतो तले उंगली दबा लेते है। ओलंपिक में पीटी उषा का प्रदर्शन आज भी याद किया जाता है जिस इतिहास के बारे में एक संक्षिप्त विवरण नीचे प्रस्तुत किया जा रहा है।

पीटी ऊषा और ओलंपिक की कहानी 1980 में शुरू हुई है उस वक्त पीटी ऊषा मात्र 16 साल की थी। इतनी छोटी उम्र में उन्होंने अपना स्थान ओलंपिक के खेल में बनाया। मॉस्को ओलंपिक में उन्होंने इस ओलंपिक में बाधा दौड़ के खेल में हिस्सा लिया। इस खेल को उन्होंने 55.42 सेकंड में पूरा किया जो आज भी भारत का नेशनल रिकॉर्ड है। मगर इस ओलंपिक में उन्हें जीत हासिल नहीं हो सकी इस वजह से उन्होंने अपने खेल में बहुत सुधार किया और 1984 में ओलंपिक के खेल में दोबारा हिस्सा लिया।

P.T. Usha Big Achievements

1984 के लॉस एंजेल्स ओलंपिक में पीटी ऊषा ने 400 मीटर के रेस को सेमीफाइनल में अच्छे से पूरा किया और एथलीट प्रतियोगिता में फाइनल में जाने वाली पहली महिला भारतीय महिला बनी। मगर इस ओलंपिक के फाइनल में भी 1/100 के मार्जिन से वह फाइनल नहीं जीत सकी। उनके पूरे कैरियर का यह सबसे शानदार खेल था जिसमें लोग उनके दीवाने हो गए उन्होंने हारी हुई बाजी को भी जीत में बदलने की पूरी तैयारी कर ली थी मगर हल्की सी चूक की वजह से वह जीत नहीं सकी।

इसके बाद पीटी उषा ने अलग-अलग खेल में हिस्सा लिया और अपने दौड़ने की कला को बहुत हद तक बदला। 1988 में सियोल ओलंपिक के लिए उन्होंने जम कर तैयारी की मगर मैच से पहले पैर की एड़ी में चोट लगने की वजह से वह मैच में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई। हालांकि चोट लगने के बावजूद उन्होंने खेल में जिस तरह का प्रदर्शन दिखाया उसे देखकर बड़े-बड़े दिग्गज भी हैरान रह गए।

P T Usha Career in Athlete Competition

इसके बाद पीटी ऊषा की शादी हो गई और उन्होंने इस खेल से संन्यास ले लिया। मगर सब कुछ चौक आते हुए अचानक 1998 में 34 वर्षीय पीटी ऊषा दोबारा बिजी एशियन गेम्स में हिस्सा लेती है। अधिक उम्र की वजह से वह इस खेल में गोल्ड मेडल नहीं जीत पाती मगर 3 सिल्वर मेडल अपने नाम कर ती है। इस खेल के दौरान 200 मीटर की रेस में पीटी उषा का प्रदर्शन भारत में 200 मीटर की रेस का एक नया नेशनल रिकॉर्ड कायम करता है।

हालांकि बढ़ती उम्र को एक कारण बताकर पीटी उषा सन 2000 में एथलीट के खेल से पूर्ण रुप से सन्यास लेती है। भारतीय सरकार की तरफ से पीटी उषा को भारत रत्न जैसे सबसे महान सम्मान से सम्मानित किया जाता है। आज पीटी उषा एक एथलीट स्कूल केरल में चला रही है जहां वह अपने जैसे प्रभावी बच्चों को ओलंपिक के खेल में जीत हासिल करने का मार्गदर्शन देती हैं।

पीटी उषा को गोल्ड गर्ल क्यों कहा जाता है | PT Usha Gold Girl

पीटी उषा में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 102 मेडल जीते है, जिसमें 46 गोल्ड मेडल है। उषा एक ही प्रतियोगिता में 6 गोल्ड मेडल जीतने वाली खिलाड़ी है। इसके अलावा एथलीट के क्षेत्र में सबसे ज्यादा स्वर्ण पदक जीतने का भी श्रेय पीटी उषा को दिया गया है। इस वजह से पीटी उषा को गोल्ड गर्ल का नाम दिया गया है।

हालांकि पीटी उषा का प्रदर्शन हर अथिलीट खेल में इतना बेहतर रहता था कि लोग पीटी उषा के दीवाने हो जाते थे। चाहे वह उनका अच्छा प्रदर्शन ना भी रहता हो मगर पी टी उषा सब की फेवरेट बन जाती थी। पीटी उषा के प्रदर्शन को देखकर उन्हें अलग अलग तरह का नाम दिया गया है जिनमें – पय्योली एक्सप्रेस, द गोल्डन गर्ल, और अन्य नाम शामिल है।

पीटी उषा का राजनीतिक परिचय | P.T. Usha Political Career

पीटी उषा वर्तमान समय में राज्यसभा का अध्यक्ष है। यह पद उन्हें सीधा राष्ट्रपति के तरफ से मिला है क्योंकि वह एथेलेट के खेल में बहुत अच्छी है। अभी हाल ही में एक मीडिया कॉन्फ्रेंस में पीटी उषा ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रहने वाली भाजपा सरकार के साथ जुड़ने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें भारत की सभी पार्टियां पसंद है वह किसी एक पार्टी के साथ जुड़कर दूसरे पार्टी को नाराज नहीं करना चाहती।

इस वक्त पीटी ऊषा बिना किसी पार्टी का चयन किए सरकार की तरफ से दिए गए राज्यसभा के पद को बखूबी निभाती है। वर्तमान समय में इनका राजनीतिक कैरियर सिवाय एक राज्यसभा अध्यक्ष के कुछ भी नहीं है। विभिन्न प्रकार के मीडिया इंटरव्यू में उन्होंने यह बात साबित की है कि उन्हें किसी भी तरह से राजनीति में अपना कैरियर नहीं बनाना है।

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Faq’s p.t. usha biography in hindi.

Q. पीटी उषा का जन्म कब हुआ था?

Ans. पीटी उषा का जन्म 27 जून 1964 को केरल में हुआ था। जिसके उनकी वर्तमान उम्र 58 वर्ष है।

Q. पीटी ऊषा ने कुल कितने पदक जीते हैं?

Ans. पीटी उषा ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मिलाकर कुल 102 पदक जीते हैं जिसमें से 46 गोल्ड मेडल है। जिनमे से 13 अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडल है।

Q. पीटी उषा का पूरा नाम क्या है?

Ans. पीटी उषा का पूरा नाम पिलाउल्लाकांडी थेक्केपरांबिल उषा है।

Q. पीटी उषा को उड़न परी क्यों कहा जाता है?

Ans. पीटी उषा ने बेहतरीन एथलीट करियर की वजह से विभिन्न प्रकार के नाम खिताब में हासिल किया है। जिनमें भारत के लिए लगातार 6 गोल्ड मेडल जीतने की वजह से queen of track का नाम और केरल के छोटे से गांव से आकर इतना बड़ा काम करने के लिए पय्योली एक्सप्रेस और उड़न पारी के नाम दिया गया।

आज इस लेख में हमने आपको पीटी ऊषा बायोग्राफी समझाने का प्रयास किया। इसके अलावा हमने आपको पीटी उषा और उनके खेल से जुड़ी कुछ रोचक बातों को भी बताया। इस लेख में बताई गई सभी प्रकार की जानकारियों को पढ़ने के बाद आप यह समझ गए होंगे की क्यों पीटी उषा भारत की एक महान हस्ती के रूप में सदैव प्रचलित रहेंगी।

अगर हमारी इस लेख के जरिए आप भारत की शान पीटी उषा के बारे में सब कुछ समझ पाए हैं और उनके एथलीट करियर को एक अलग नजरिए से देख पाए हैं तो इसे अपने मित्रों के साथ साझा करें। इसके अलावा अगर आपके मन में पीटी उषा के संबंध में किसी भी प्रकार का प्रश्न है तो उसे कमेंट में पूछना ना भूले।

इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं

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PT Usha biography in hindi: भारतीय उड़न परी की गहरे संघर्ष की कहानी

Team Hindi Words

  • March 17, 2024

PT Usha biography in hindi

PT Usha biography: भारत में कई ऐसे खिलाड़ी पैदा हुए हैं जिन्होंने कठिन परिस्थितियों के बावजूद संघर्ष और कड़ी मेहनत के दम पर भारत के लिए कई पदक जीते और देश का नाम विश्व खेल क्षेत्र में एक अलग ऊंचाई पर ले जाने का काम किया.

जिन्होंने 1980 के दशक में एशियाई खेलों में अपनी मेहनत से भारत का नाम बड़ा बनाने का काम किया. इसके बाद जिस नाम पर भारत नहीं बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान गया, वह नाम था पिलाउल्लाकांडी थेक्केपराम्बिल उषा उर्फ ​​पीटी उषा (PT Usha).

पीटी उषा (PT Usha) का नाम एशिया में सबसे अच्छे धावको में से एक और भारत में महान खिलाड़ियों की सूची में एक बड़ा नाम बन गया.

प्रतियोगिता में उनकी गति के कारण उन्हें “ क्वीन ऑफ इंडियन ट्रैक एण्ड फील्ड ” ( Queen of Indian track and field ) के खिताब से नवाजा गया.

पीटी उषा का जीवन परिचय (PT Usha Biography in hindi)

आज इस लेख में हम पीटी उषा ( PT Usha ) की जीवन कहानी का खुलासा करने जा रहे हैं.  इस लेख में हम उनके जन्म, बचपन, उनके शैक्षिक जीवन के साथ-साथ खेल के क्षेत्र में उनके प्रदर्शन और उनकी संपूर्ण जीवन यात्रा के बारे में जानकारी देखने जा रहे हैं.

तो आप इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें, आपको यह जरूर पसंद आएगा.

पीटी उषा का बचपन और परिवार (PT Usha Childhood And Family)

27 जून 1964 को केरल राज्य के पय्योली नामक एक छोटेसे गाँव में पीटी उषा (PT Usha) का जन्म हुआ था. उनके पिता का नाम ई.पी.एम पैथल(E.P.M. Paithal) और माता का नाम टी.व्ही. लक्ष्मी (T.V. Lakshmi) है.

पीटी उषा का शरीर बचपन में कमजोर था लेकिन उन्होंने स्कूल के दिनों से ही अपने शरीर पर काम करना शुरू कर दिया था.

1976 में, केरल सरकार ने कन्नूर में महिलाओं के लिए एक एथलेटिक केंद्र की स्थापना की थी. तभी पीटी उषा बारह साल की उम्र में प्रशिक्षण के लिए केंद्र में शामिल हो गईं थी.

ओम नांबियार उनके कोच थे और पीटी उषा ने उनके मार्गदर्शन में सराहनीय प्रदर्शन किया.

पीटी उषा पुरस्कार (PT Usha Awards)

पीटी उषा, भारतीय खेलों की दुनिया में एक प्रमुख नाम हैं, जिन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. नीचे उनके द्वारा प्राप्त किए गए पुरस्कारों की सूची प्रदान की है.

  • वर्ष 1984 में उन्हें भारतीय खिलाड़ियों को दिया जानेवाला खेल के क्षेत्र का अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
  • वर्ष 1985 में उन्हें देश के सर्वोच्च पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
  • 1985 में जकार्ता में एशियाई एथलेटिक मेले में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए उन्हें एशिया की महानतम महिला एथलीट का पुरस्कार दिया गया.
  • 1986 में एशियाई खेलों के बाद उन्हें सर्वश्रेष्ठ धावक के रूप में एडिडास गोल्डन शू अवार्ड मिला.
  • इसके अलावा, मार्शल टीटो अवार्ड, वर्ल्ड ट्रॉफी प्लेड, केरल स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट अवार्ड जैसे विभिन्न पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है.

पीटी उषा की उपलब्धियां (PT Usha Achievements)

  • अपना प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, उन्होंने सोलह वर्ष की आयु में 1980 में ‘पाकिस्तान ओपन नेशनल मीट में भारत का प्रतिनिधित्व किया और इस अवसर का लाभ उठाते हुए उन्होंने इस प्रतियोगिता में अपना करिश्मा दिखाया और देश के लिए 4 स्वर्ण पदक जीते और भारत का नाम विश्व खेल क्षेत्र में शीर्ष पर पहुंचाया.
  • 1982 में जूनियर इनविटेशन मीट में हिस्सा लेकर पीटी उषा ने देश के लिए खेलते हुए 100 मीटर और 200 मीटर दौड़ में स्वर्ण और कांस्य पदक जीते.
  • उन्होंने साल 1985 में आयोजित एशिया ट्रैक वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और 5 गोल्ड मेडल का रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किया.
  • 1990 में, उन्होंने बीजिंग एशियन ट्रेन प्रतियोगिता में 3 रजत पदक को अपने नाम किया था.
  • इसके अलावा, 1998 में, उन्होंने एशियन ट्रैक फेडरेशन मीट में 200 मीटर और 400 मीटर दौड़ में कांस्य पदक जीता था.

उन्होंने वर्ष 1991 में श्रीनिवासन से शादी की और उनका उज्जवल नाम का एक बेटा है. 1991 से 1997 के बीच उन्होंने किसी भी तरह की प्रतियोगिता नहीं खेली. करीब 7 साल बाद उन्होंने 1998 में वापसी करनेका का फैसला किया और कुछ प्रतियोगिताओं में भाग लेने के बाद आख़िरकार उन्होंने वर्ष 2000 में संन्यास लेने का निर्णय लिया.

पीटी उषा का राजनीति मे प्रवेश (PT Usha’s Entry Into Politics)

भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन (IOA) की भी अध्यक्ष हैं. पीटी उषा एक ऐतिहासिक क्षण की छवि में खड़ी हैं, क्योंकि वे आईओए की अध्यक्ष बनने वाली पहली महिला हैं. और साथ ही वर्तमान में, वह राज्यसभा (PT Usha Rajya Sabha) के सदस्य के रूप में सेवा प्रदान कर रही हैं.

मैं कभी ओलंपियन नहीं बनना चाहती थी. मैं बस यही चाहती थी कि मैं अपना ही रिकॉर्ड तोड़ती रहूं. मैंने कभी किसी को हराने की होड़ नहीं की. पी. टी. उषा
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आज इस लेख में हम एशिया के सबसे तेज़ धावक पीटी उषा के जीवन परिचय (PT Usha biography) के बारे में जानकारी देने का प्रयास किया है.

जिन्होंने भारत को विश्व खेलों में एक अलग स्तर पर पहुंचाया है. हमें उम्मीद है कि आपको ऐसी महान खिलाड़ी पीटी उषा के जीवन के बारे में यह लेख पसंद आया होगा.

यदि आपके पास इस लेख के बारे में कोई अन्य जानकारी है, तो कृपया हमें मेल द्वारा बताएं हम निश्चित रूप से इस जानकारी को सत्यापित करने और इसे अपने लेख में जोड़ने का प्रयास करेंगे.

अगर आपको जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे अपने प्रियजनों के साथ सोशल मीडिया पर जरूर से शेयर करें. धन्यवाद!

FAQ’s

पीटी उषा क्यों प्रसिद्ध है.

पीटी उषा प्रसिद्ध हैं क्योंकि उन्होंने भारतीय खेल क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से नाम किया. उन्हें एशियाई खेलों और अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कई पदक मिले, जिससे उन्हें “क्वीन ऑफ इंडियन ट्रैक एंड फील्ड” कहा जाता है.

पीटी उषा का दूसरा नाम क्या था?

पीटी उषा का दूसरा नाम “पिलाउल्लाकांडी थेक्केपराम्बिल उषा” है.

पीटी उषा कब सेवानिवृत्त हुई?

पीटी उषा ने 2000 ई. को अपनी खेल से सेवानिवृत्त हो गई थी. इससे पहले, उन्होंने अपने करियर में अनेक महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की थीं और भारतीय खेल के इतिहास में अपनी पहचान बनाई थी. उन्होंने अपने जीवन में खेल के क्षेत्र में बहुत से सफल वर्ष बिताए, जिसमें उन्होंने अनेक अंतर्राष्ट्रीय पदक जीते.

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पी टी उषा का जीवन परिचय | PT Usha Biography in Hindi

पीटी उषा का जीवन परिचय, उम्र, करियर, शिक्षा, परिवार, जीवनी (PT Usha Biography in Hindi, Age, Height, Weight, Education, Family, Career, Net worth)

पी टी उषा देश दुनिया का एक जाना माना नाम हैं, इन्‍हें किसी परिचय की जरूरत नहीं हैं। पी टी एक महान एथलीट थी जिन्‍होंने 1979 से लगभग दो दशकों तक भारत को अपनी प्रतिभा के चलते सम्‍मान दिलाया था। इस तेज दौड़ने वाली लड़की का कोई मुकाबला नहीं था।

आज भी अगर सबसे तेज दौड़ने वाले इन्‍सान का नाम पूछा जाता हैं , तो बच्‍चा बच्‍चा पी टी उषा का ही नाम लेता हैं। ये दुनिया की बहुत फेमस और सफल महिला एथलीट में से एक हैं।

अपने असाधारण प्रदर्शन के चलते उषा को ‘क्‍वीन ऑफ इंडियन ट्रैक’ एवं ‘पय्योली एक्‍सप्रेस’ नाम का खिताब दिया गया हैं। पी टी उषा आज केरल में एथलीट स्‍कूल चलाती हैं, जहॉं वे अपनी प्रतिभा का ज्ञान दूसरों बच्‍चों को भी देती हैं।

आज हम बात करने जा रहे हैं ऐसे एथलीट्स प्‍लेयर की जो कि एक महिला धावक हैं। इस महिला धावक एथलीट्स को भारत का “उसैन बोल्‍ट” भी कहा जाता हैं।

पी टी उषा का जीवन परिचय | PT Usha Biography in Hindi

पी टी उषा का जीवन परिचय

पीटी उषा कौन है (who is pt usha).

पीटी उषा भारत की महिला एथलीट है पीटी उषा न केवल भारत में ही बल्कि संपूर्ण विश्व में विख्यात है और हमारे देश का नाम गौरवान्वित कर रही है पीटी उषा एक कुशल धावक पीटी ऊषा को न केवल भारत बल्कि संपूर्ण विश्व में सबसे तेज दौड़ने वाली महिला का खिताब प्राप्त है।

संपूर्ण विश्व में सबसे तेज दौड़ने वाली महिला पीटी उषा को भारतीय महिला उसैन बोल्ट का कहा जाता है।

पीटी उषा का जन्म एवं शुरुआती जीवन (PT Usha Early Life)

भारत की गौरव पीटी उषा का जन्म केरल राज्य में स्थित पय्योली नामक ग्राम में वर्ष 1964 में 27 जून को हुआ था। पीटी उषा के माता का नाम टीवी लक्ष्मी है और वही उनके पिता का नाम ईपीएल पैतल है।

पीटी उषा का स्वास्थ्य बचपन में काफी बिगड़ गया था परंतु पीटी ऊषा ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई के दौरान ही अपना स्वास्थ्य काफी हद तक सुधार लिया था। पीटी उषा ने ऐसा खेलकूद एवं शारीरिक व्यायाम के कारण किया था।

पीटी उषा की शिक्षा (PT Usha Education)

पीटी उषा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने ही जन्म स्थान केरल राज्य के पय्योली में स्थित एक प्राइमरी विद्यालय से ही प्राप्त किया था। पीटी उषा का मन खेलकूद में अधिक लगता था जिसके लिए उनके माता-पिता के द्वारा प्रेरित करने पर वर्ष 1976 में सरकार द्वारा कराए जाने वाले महिलाओं के स्पोर्ट्स गेम में पार्टिसिपेट किया। पीटी उषा ने इस दौड़ में प्रथम स्थान प्राप्त किया फिर उसका चयन एथलीट्स में हुआ।

पी.टी. उषा का परिवार (P.T. Usha Family)

पीटी उषा की शादी (pt usha marriage).

पीटी उषा एथलीट से कैरियर की शुरुआत कर चुकी थी इसके बाद उन्होंने वर्ष 1991 में श्रीनिवासन से विवाह कर लिया श्रीनिवासन से विवाह करने के बाद पीटी उषा की जिंदगी में काफी बदलाव आया। विवाह के कुछ वर्षों बाद पीटी उषा को एक पुत्र की प्राप्ति हुई इन दोनों ने इसका नाम उज्जवल रखा।

पीटी उषा को गोल्ड गर्ल क्यों कहा जाता है

पीटी उषा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 102 मेडल जीते हैं जिसमें 46 गोल्ड मेडल है वह एक ही प्रतियोगिता में 6 गोल्ड मेडल जीतने वाली खिलाड़ी है। इसके अलावा एथलीट के क्षेत्र में सबसे ज्यादा स्वर्ण पदक जीतने का श्रेय भी पीटी ऊषा को दिया गया है इस वजह से पीटी उषा को गोल्ड का नाम दिया गया है।

हालांकि पीटी उषा का प्रदर्शन हर एथलेटिक्स खेल में इतना बेहतर रहता था कि लोग पीटी उषा के दीवाने हो जाते थे चाहे वह उनका अच्छा प्रदर्शन ना भी रहता हो मगर पीटी उषा सब की फेवरेट बन जाती थी। पीटी उषा के प्रदर्शन को देखकर उन्हें अलग अलग तरह का नाम दिया गया है जिनमें पय्योली एक्सप्रेस, द गोल्डन गर्ल और अन्य नाम शामिल है।

पीटी ऊषा क्वीन ऑफ इंडियन ट्रैक

पीटी उषा को क्लीन ऑफ इंडियन ट्रेक या गोल्डन कलर के नाम से जाना जाता है इसके अलावा उन्हें खेल के क्षेत्र में अलग-अलग तरह के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। पीटी उषा उस दौर में भारत को ओलंपिक और अन्य खेल में गोल्ड मेडल जितवाया जब भारत देश में महिलाओं को अधिक छूट नहीं दी जाती थी।

पीटी उषा ने सबसे पहले 1979 में सबसे पहले नेशनल लेवल पर गोल्ड मेडल जीतकर खुद को अंतर्राष्ट्रीय खेलों के काबिल बताया। इसके बाद 1980 में पाकिस्तान ओपन नेशनल मीट में एथलीट के तौर पर हिस्सा लेकर उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय कैरियर की शुरुआत की।

पी टी उषा का जीवन परिचय | PT Usha Biography in Hindi

कराची में उन्होंने भारत को लगातार 4 गोल्ड मेडल जितवाया। पाकिस्तान में भारत को पीटी उषा ने चार स्वर्ण पदक एथलीट में दिलवाया जिसके बाद वह भारत में एक प्रचलित एथलीट बन गई।

पी.टी. उषा के पुरस्‍कार और सम्‍मान (P.T. Usha Awards & Honors)

  • 1984 में, पद्म श्री पुरस्‍कार
  • 1984 में, अर्जुन पुरस्‍कार
  • 1984, 1985, 1987 और 1989 में, एशिया के सर्वश्रेष्‍ठ एथलीट पुरस्‍कार
  • 1984 और 1986 में, एशिया के सर्वश्रेष्‍ठ एथलीट के लिए विश्‍व ट्रॉफी
  • 1986 में, 1986 के सियोल ओलंपिक में सर्वश्रेष्‍ठ एथलीट के लिए एडिडास गोल्‍डन शू पुरस्‍कार
  • 2000 में, भारतीय ओलंपिक संघ द्धारा सदी की सर्वश्रेष्‍ठ महिला खिलाड़ी
  • 2019 में, IAAF वेटरन पिन अवार्ड

पीटी उषा की उपलब्धि (PT Usha Achievement)

  • 1977 में कोट्टियम में राज्य एथलीट बैठक में एक राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया।
  • 1980 में मास्को ओलंपिक में हिस्सा लिया।
  • पहली महिला एथलीट बनी जो ओलंपिक के फाइनल तक पहुंची।
  • 16 साल की उम्र में ऊषा ने 1980 के मास्को ओलंपिक में हिस्सा लिया था जिसके बाद में सबसे कम उम्र की भारतीय एथलीट बन गई थी।
  • लॉसएंजेल्स ओलंपिक में पहली बार महिला एथलीट में 400 मीटर प्रतिस्पर्धा में बाधा दौड़ जोड़ी गई, जहां पीटी जी ने 55.42 सेकंड का एक रिकॉर्ड बना दिया था जो आज भी इंडियन नेशनल रिकॉर्ड है।
  • तीन ओलंपिक में हिस्सा ले चुकी है।

पीटी उषा की वापसी (PT Usha Comeback)

1990 में बीजिंग में गेम्स खेलने के बाद पीटी उषा ने एथलेटिक्स से संन्यास ले लिया। 1991 में इन्होंने श्रीनिवासन से शादी कर ली जिसके बाद उनका एक बेटा हुआ। 1998 में अचानक सबको चौंकाते हुए 34 साल की उम्र में पीटी उषा ने एथलेटिक्स में वापसी कर दी।

फिर इन्होंने जापान के फुकुओका में आयोजित “एशियन ट्रेक फेडरेशन मीट” में हिस्सा लिया। इस गेम्स में पीटी उषा ने 200 मीटर इन 400 मीटर की रेस में ब्रॉन्ज मेडल जीता 14 साल की उम्र में पीटी उषा ने 200 मीटर की रेस में अपनी खुद की टाइमिंग में सुधार किया और एक नया नेशनल रिकॉर्ड कायम कर दिया।

जो यह दर्शाता था कि प्रतिभा की कोई उम्र नहीं होती है और यह भी सबको पता चल गया कि एथलीट टैलेंट इनके अंदर कूट-कूट कर भरा हुआ है सन 2000 में फाइनली पीटी उषा जी ने एथलेटिक्स से संन्यास ले लिया।

इन्‍हें भी पढ़ें

  • सुनील छेत्री का जीवन परिचय
  • पीवी सिंधु का जीवन परिचय
  • नीतू घनघास का जीवन परिचय
  • लक्ष्‍य सेन का जीवन परिचय

पीटी उषा से जुड़े कुछ रोचक जानकारियां

  • पीटी उषा का पूरा नाम पिलावुल्लाकांडी उषा है हालांकि खेल जगत में उनके महान उपलब्धियों के कारण उन्हें उड़न परी के नाम से भी जाना जाता है।
  • इसके अतिरिक्त भी इन्हें पय्योली एक्सप्रेस, ट्रेक एंड फील्ड की क्वीन जैसे उपनाम दिए गए हैं।
  • पीटी उषा का जन्म केरल के कोझीकोड स्थित पय्योली गांव में 27 जून 1964 को हुआ था।
  • गोल्डन गर्ल के नाम से पीटी उषा के जीवन पर 1987 को एक आत्मकथा भी लिखी गई है।
  • पीटी उषा ने 14 साल की उम्र में ही इंटर-स्टेट जूनियर प्रतियोगिता में 4 गोल्ड मेडल जीते थे।
  • पीटी उषा, 1980 को मास्को में आयोजित ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली सबसे कम उम्र वाली धावक थी उस समय इनकी उम्र 16 साल थी।
  • पीटी उषा ने उषा स्कूल ऑफ एथलेटिक्स के नाम से खुद का स्कूल भी शुरू किया है।
  • 1985 एशियन चैंपियनशिप में पीटी ऊषा ने 5 गोल्ड मेडल जीतकर महिला एथलीट द्वारा सर्वाधिक गोल्ड जीतने का रिकॉर्ड बनाया था।
  • पीटी ऊषा ओलंपिक की ट्रैक इवेंट के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय है।

पीटी उषा का पूरा नाम क्‍या हैं?

पिलावुल्‍लाकंडी थेक्‍केपरम्बिल उषा

पीटी उषा का जन्‍म कब हुआ था?

27 जून 1964

पीटी उषा का जन्‍म कहॉं हुआ था?

पीटी उषा का विवाह किसके साथ हुआ था.

श्री निवासन पीटी उषा के पति हैं।

मैं आशा करता हूं की आपको “पी टी उषा का जीवन परिचय (PT Usha Biography in Hindi) पसंद आया होगा। अगर आपको यह पोस्ट पसंद आया है तो कमेंट करके अपनी राय दे, और इसे अपने दोस्तो और सोशल मीडिया में भी शेयर करे।

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