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ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (Global Warming Essay in Hindi)

पृथ्वी के सतह पर औसतन तापमान का बढ़ना ग्लोबल वार्मिंग (वैश्विक तापमान) कहलाता है। ग्लोबल वार्मिंग मुख्य रूप से मानव प्रेरक कारकों के कारण होता है। औद्योगीकरण में ग्रीन हाउस गैसों का अनियंत्रित उत्सर्जन तथा जीवाश्म ईंधन का जलना ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण है। ग्रीन हाउस गैस वायुमंडल में सूर्य की गर्मी को वापस जाने से रोकता है यह एक प्रकार के प्रभाव है जिसे “ग्रीन हाउस गैस प्रभाव” के नाम से जाना जाता है । इसके फलस्वरूप पृथ्वी के सतह पर तापमान बढ़ रहा है। पृथ्वी के बढ़ते तापमान के फलस्वरूप पर्यावरण प्रभावित होता है अतः इस पर ध्यान देना आवश्यक है।

ग्लोबल वार्मिंग पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Global Warming in Hindi, Global Warming par Nibandh Hindi mein)

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (250 – 300 शब्द).

पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड के मात्रा में वृद्धि के कारण पृथ्वी के सतह पर निरंतर तापमान का बढ़ना ग्लोबल वार्मिंग है। ग्लो पृथ्वी का बढ़ता तापमान विभिन्न आशंकाओं (खतरों) को जन्म देता है, साथ ही इस ग्रह पर जीवन के अस्तित्व के लिए संकट पैदा करता है।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण

जीवाश्म ईंधन के दोहन, उर्वरकों का उपयोग, वनों को कांटना, बिजली की अत्यधिक खपत, फ्रिज में उपयोग होने वाले गैस इत्यादि के कारणवश वातावरण में CO2, CO  का अत्यधिक उत्सर्जन हो रहा है।CO2 के स्तर में बढ़ोत्तरी “ग्रीन हाउस गैस प्रभाव” का कारक है, जो सभी ग्रीन हाउस गैस (जलवाष्प, CO2, मीथेन, ओजोन) थर्मल विकरण को अवशोषित करता है, तथा सभी दिशाओं में विकीर्णं होकर और पृथ्वी के सतह पर वापस आ जाते हैं जिससे सतह का तापमान बढ़ कर ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण बनता है।

ग्लोबल वार्मिंग का निवारण

हमें पेड़ो की अन्धाधुन कटाई पर रोक लगाना चाहिए, बिजली का उपयोग कम करना चाहिए, लकड़ी को जलाना बंद करना चाहिए आदि।ग्लोबल वार्मिंग दुनिया के सभी देशों के लिए एक बड़ी समस्या है, जिसका समाधान सकारात्मक शुरूआत के साथ करना चाहिए।

ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से जीवन पर खतरा बढ़ता जा रहा है। हमें सदैव के लिए बुरी आदतों का त्याग करना चाहिए क्योंकी यह CO2, COके स्तर में वृद्धि कर रहा है और ग्रीन हाउस गैस के प्रभाव से पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है।

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध – Global Warming par Nibandh (400 शब्द)

आज के समय में ग्लोबल वार्मिंग एक बड़ी पर्यावरण समस्या है जिसका हम सब सामना कर रहे हैं, तथा जिसका समाधान स्थायी रूप से करना आवश्यक हो गया है। वास्तव में पृथ्वी के सतह पर निरंतर तथा स्थायी रूप से तापमान का बढ़ना, ग्लोबल वार्मिंग प्रक्रिया है। सभी देशों द्वारा विश्व स्तर पर इस विषय पर व्यापक रूप से चर्चा होनी चाहिए। यह दशकों से प्रकृति के संतुलन, जैव विविधता तथा जलवायु परिस्थियों को प्रभावित करता आ रहा है।

ग्लोबल वार्मिंग के प्रमुख कारक

ग्रीन हाउस गैस जैसे CO 2 , मीथेन, पृथ्वी पर बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग मुख्य कारक हैं। इसका सीधा प्रभाव समुद्री स्तर का विस्तार, पिघलती बर्फ की चट्टाने, ग्लेशियर, अप्रत्याशित जलवायु परिवर्तन पर होता है, यह जीवन पर बढ़ते मृत्यों के संकट का प्रतिनिधित्व करता है। आकड़ों के अनुसार यह अनुमान लगाया जा रहा है की मानव जीवन के बढ़ते मांग के कारण बीसवीं शताब्दी के मध्य से तापमान में बहुत अधिक बढ़ोत्तरी आयी है जिसके फलस्वरूप वैश्विक स्तर पर वायुमंडलीय ग्रीन हाउस गैस सांद्रता के मात्रा में भी वृद्धि हुई है।

पिछली सदी के 1983, 1987, 1988, 1989, और 1991 सबसे गर्म छ: वर्ष रहे हैं, यह मापा गया है। इसने ग्लोबल वार्मिंग में अत्यधिक वृद्धि किया जिसके फलस्वरूप प्राकृतिक आपदाओं का अनपेक्षित प्रकोप सामने आया जैसे- बाढ़, चक्रवात, सुनामी, सूखा, भूस्खलन, भोजन की कमी, बर्फ पिघलना, महामारी रोग, मृत्यों आदि इस कारणवश प्रकृति के घटना चक्र में असंतुलन उत्पन्न होता है जो इस ग्रह पर जीवन के अस्तित्व के समाप्ति का संकेत है।

ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि के कारण, पृथ्वी से वायुमंडल में जल-वाष्पीकरण अधिक होता है जिससे बादल में ग्रीन हाउस गैस का निर्माण होता है जो पुनः ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनता है। जीवाश्म ईंधन का जलना, उर्वरक का उपयोग, अन्य गैसों मे वृद्धि जैसे- CFCs, ट्रोपोस्फेरिक ओजोन, और नाइट्रस ऑक्साइड भी ग्योबल वार्मिंग के कारक हैं। तकनीकी आधुनीकरण, प्रदुषण विस्फोट, औद्योगिक विस्तार के बढ़ते मांग, जंगलों की अन्धाधुन कटाई तथा शहरीकरण ग्लोबल वार्मिंग वृद्धि में प्रमुख रूप से सहायक हैं।

हम जंगल की कटाई तथा आधुनिक तकनीक के उपयोग से प्राकृतिक प्रक्रियाओं को विक्षुब्ध (Disturb) कर रहे हैं। जैसे वैश्विक कार्बन चक्र, ओजोन के परत में छेद्र बनना तथा UV तंरगों का पृथ्वी पर आगमन जिससे ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि हो रही है।

हवा से कार्बन डाइऑक्साइड हटाने का एक मुख्य स्त्रोत पेड़ है। तथा पर्यावरण संतुलन बनाये रखने के लिए हमें वनों की कटाई पर रोक लगाना चाहिए तथा ज्यादा से ज्यादा लोगों द्वारा वृक्षारोपड़ किया जाना चाहिए यह ग्लोबल वार्मिंग के स्तर में अत्यधिक कमी ला सकता है। जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण तथा विनाशकारी प्रोद्यौगिकियों का कम उपयोग भी एक अच्छी पहल है, ग्लोबल वार्मिंग नियंत्रण के लिए।

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध – Global Warming per Nibandh (600 शब्द)

ग्लोबल वार्मिंग के विभिन्न कारक हैं, जिसमें कुछ प्रकृति प्रदत्त हैं तथा कुछ मानव निर्मित कारक हैं, ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि के सबसे प्रमुख कारकों में ग्रीन हाउस गैस है जो कुछ प्राकृतिक प्रक्रियाओं व मानवीय क्रियाओं से उत्पन्न होता है। बीसवीं शताब्दी में, जनसंख्या वृद्धि, ऊर्जा का अत्यधिक उपयोग से ग्रीन हाउस गैस के स्तर में वृद्धि हुई है। लगभग हर जरूरत को पूरा करने के लिए आधुनिक दुनिया में औद्योगीकरण की बढ़ती मांग, जिससे वातावरण में विभिन्न तरह के ग्रीन हाउस गैस की रिहाई होती है।

कार्बन डाइऑक्साइड CO 2 तथा सल्फर डाइऑक्साइड SO 2 की मात्रा हाल ही के वर्षों में दस गुना बढ़ गई है। विभिन्न प्राकृतिक, औद्योगिक क्रियाएं जिसमें प्रकाश संश्लेषण और ऑक्सीकरण भी सम्मिलित है, इन सब से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि होती है। अन्य ग्रीन हाउस गैस मीथेन, नाइट्रोजन के ऑक्साइड (नाइट्रस आक्साइड), हॉलोकार्बन, क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFCs), क्लोरीन और ब्रोमीन यौगिक इत्यादि कार्बनिक सामाग्री का अवायवीय अपघटन है। कुछ ग्रीन हाउस गैस वायुमंडल में एकत्र होते है और वायुमंडल के संतुलन को विक्षुब्ध करते हैं। उन में गर्म विकरणों को अवशोंषित करने की क्षमता होती है और इसलिए पृथ्वी के सतह पर तापमान में वृद्धि होती है।

ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव

ग्लोबल वार्मिंग के स्त्रोतों में वृद्धि से साफ तौर पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव देखा जा सकता है। US भूगर्भीय सर्वेक्षण (US Geological Survey) के अनुसार मोंटाना ग्लेशियर नेशनल पार्क पर 150 ग्लेशियर मौजुद थे पर ग्लोबल वार्मिंग के वजह से वर्तमान में मात्र 25 ग्लेशियर बचे हैं। अधिक स्तर पर जलवायु में परिवर्तन तथा तापमान से ऊर्जा (वायुमंडल के उपरी सतह पर ठंडा तथा ऊष्णकटिबंधीय महासागर के गर्म होने से) लेकर तूफान अधिक खतरनाक, शक्तिशाली और मजबूत बन जाते हैं। 2012 को 1885 के बाद सबसे गर्म वर्ष दर्ज किया है तथा 2003 को 2013 के साथ सबसे गर्म वर्ष के रूप में देखा गया है।

ग्लोबल वार्मिंग के फलस्वरूप वातावरण के जलवायु में, बढ़ती गर्मी का मौसम, कम होता ठंड का मौसम, बर्फ के चट्टानों का पिघलना, तापमान का बढ़ना, हवा परिसंचरण पैटर्न में बदलाव, बिन मौसम के वर्षा का होना, ओजोन परत में छेद्र, भारी तूफान की घटना, चक्रवात, सूखा, बाढ़ और इसी तरह के अनेक प्रभाव हैं।

ग्लोबल वार्मिंग का समाधान

सरकारी एजेंसियों, व्यवसाय प्रधान, निजी क्षेत्र, NGOs आदि द्वारा बहुत से कार्यक्रम, ग्लोबल वार्मिंग कम करने के लिए चलाएं तथा क्रियान्वित किए जा रहे हैं। ग्लोबल वर्मिंग के वजह से पहुचने वाले क्षति में कुछ क्षति ऐसे हैं (बर्फ की चट्टानों का पिघलना) जिसे किसी भी समाधान के माध्यम से पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता है। जो भी हो हमें रूकना नहीं चाहिए और सबको बेहतर प्रयास करना चाहिए ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करने के लिए। हमें ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन कम करना चाहिए तथा वातावरण में हो रहे कुछ जलवायु परिवर्तन जो वर्षों से चला आ रहा है उन्हें अपनाने की कोशिश करनी चाहिए।

ग्लोबल वार्मिंग कम करने के उपाय, हमें बिजली के स्थान पर स्वच्छ ऊर्जा जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा तथा भू-तापिय ऊर्जा द्वारा उत्पादित ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए। कोयला, तेल के जलने के स्तर को कम करना चाहिए, परिवहन और ईलेक्ट्रिक उपकरणों का उपयोग कम चाहिए इससे ग्लोबल वार्मिंग का स्तर काफी हद तक कम होगा।

Essay on Global Warming in Hindi

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ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (Global Warming Essay in hindi) - कारण और समाधान 100, 200, 500 शब्द

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ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (Global Warming Essay in hindi) : आमतौर पर पृथ्वी के औसत तापमान में हो रही बढ़ोतरी को ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) कहा जाता है। पृथ्वी के औसत तापमान के बढ़ने का कारण दुनिया में तेजी से हो रहे आधुनिकीकरण को माना जा रहा है जिससे हमारी धरती बदलाव के दौर से गुजर रही है। एक तरफ बढ़ती जनसंख्या तथा दूसरी ओर विकास के नाम पर दुनिया भर में हरित आवरण को खत्म करते हुए बड़ी संख्या में उद्योगों की स्थापना की जा रही है। लेकिन जैसे-जैसे विकास की रफ्तार बढ़ी है, पृथ्वी की पारिस्थितिकी (इको सिस्टम) की स्थिति काफी हद तक खराब हो गई है।

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (100 Words Essay on Global Warming in hindi)

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ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (Global Warming Essay in hindi) - कारण और समाधान 100, 200, 500 शब्द

पर्यावरण के खतरों पर चर्चा करते समय, "ग्लोबल वार्मिंग" वाक्यांश का अक्सर उपयोग किया जाता है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण और परिणाम अभी भी कई लोगों के लिए पूरी तरह जानकारी में नहीं हैं। इन दिनों कई प्रतियोगी परीक्षा से लेकर स्कूल,कॉलेज की परीक्षाओं में भी ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (Essay on Global warming in hindi) संबंधी प्रश्न आ रहे हैं। यहां ग्लोबल वार्मिंग पर कुछ नमूना निबंध दिए गए हैं जिससे परीक्षार्थियों को ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध लिखने के लिए दृष्टिकोण मिलेंगे।

पृथ्वी के औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि को ग्लोबल वार्मिंग के रूप में जाना जाता है। ग्लोबल वार्मिंग अधिकतर जीवाश्म ईंधन जलाने और वायुमंडल में खतरनाक प्रदूषकों के उत्सर्जन के कारण होती है। ग्लोबल वार्मिंग के परिणामस्वरूप जीवित चीजों को बहुत नुकसान हो सकता है। कुछ स्थानों पर तापमान अचानक बढ़ जाता है, जबकि कुछ स्थानों पर अचानक गिर जाता है।

ऊर्जा के लिए जीवाश्म ईंधन का उपयोग ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण है। यह देखा गया है कि पिछले दस वर्षों में पृथ्वी का औसत तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है। यह चिंता का कारण है क्योंकि यह पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है और पर्यावरणीय गड़बड़ी पैदा कर सकता है। यदि हम अपने जंगलों में नष्ट हो चुकी वनस्पतियों को फिर से लगाने के लिए निर्णायक कार्रवाई करते हैं, तो हम ग्लोबल वार्मिंग को रोक सकते हैं। ग्लोबल वार्मिंग की दर को धीमा करने के लिए हम सौर, पवन और ज्वारीय ऊर्जा जैसे टिकाऊ ऊर्जा स्रोतों का भी उपयोग कर सकते हैं।

समय के साथ पृथ्वी के औसत वैश्विक तापमान में सतत वृद्धि को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है। ऐसा कहा गया है कि विभिन्न कारणों से मनुष्यों द्वारा जल, जंगल और जमीन खासकर बड़े पैमाने पर वनों की कटाई इसके लिए जिम्मेदार है। हर साल, हम बहुत अधिक ईंधन का उपयोग करते हैं। मानव जनसंख्या बढ़ने के कारण लोगों की ईंधन जरूरतों को पूरा करना असंभव होता जा रहा है। प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग सावधानी से करना चाहिए क्योंकि वे सीमित हैं। यदि मनुष्य वनों और अन्य खनिज संपदा का अत्यधिक उपयोग करेगा तो पारिस्थितिकी तंत्र असंतुलित हो जाएगा। केवल तापमान वृद्धि ही ग्लोबल वार्मिंग का एकमात्र संकेत नहीं है। इसके अन्य परिणाम भी हैं।

तूफान, बाढ़ और हिमस्खलन सहित प्राकृतिक आपदाएँ पूरे पृथ्वी पर हो रही हैं। इन सबका सीधा संबंध ग्लोबल वार्मिंग से है। अपने पर्यावरण की रक्षा के लिए हमें ग्लोबल वार्मिंग के नकारात्मक प्रभावों से बचाव के लिए अपनी पारिस्थितिकी का पुनर्निर्माण करना होगा। इस विश्व को आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अच्छी जगह बनाने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए। पेड़-पौधे लगाना एक ऐसा कार्य है जिसे करके हम समग्र रूप से अपनी दुनिया की स्थिति को बेहतर बना सकते हैं। हमारा मुख्य उद्देश्य पुनर्वनीकरण होना चाहिए।

अन्य महत्वपूर्ण लेख :

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जनसंख्या, औद्योगिकीकरण, शहरीकरण के कारण जल, जंगल और जमीन को लगातार दोहन होने से धरती के औसत तापमान में वृद्धि होना ग्लोबल वार्मिंग के मुख्य कारणों में है। हालांकि अधिकांश लोगों को इसकी जानकारी है, लेकिन इसको लेकर जिस हद तक जागरुकता होनी चाहिए, उतनी देखने को नहीं मिलती।

हमारे देश के संदर्भ में ही देखें तो बड़े स्तर पर खेतों में फसल कटाई के बाद बचे अवशेषों (पराली, खर-पतवार आदि) को जलाकर वायु प्रदूषण फैलाने, फैक्ट्रियों द्वारा उत्पन्न धुआं, केमिकल कचरा फैलाना भी कहीं न कहीं ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनता है। इसके अलावा वनों की कटाई कर बड़े पैमाने पर उद्योग, सड़क, पुल आदि का निर्माण होना भी इसका कारण है। हालांकि इसके एवज में आसपास के क्षेत्र में हरित आवरण बसाने की कोशिश होती है, लेकिन अधिकांश मामलों में यह सफल नहीं हो पाने से तापमान में वृद्धि पर रोक नहीं लग पा रही है।

ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव मौसम और जैव विविधता पर पड़ता है। इसके प्रभाव के तौर पर हम उदाहरण के रूप में हम अत्यधिक गर्मी, ठिठुरन भरी रात या बारिश को ले सकते हैं। पिछले कुछ वर्षों में कई वैसे स्थानों पर गर्मी का प्रकोप देखने को मिला है जहां आज से 8-10 पहले तक हरियाली के कारण तापमान नियंत्रित रहता था। वहीं कई ऐसे क्षेत्रों में बारिश नाम मात्र की होती है जहां कुछ साल पहले तक औसत से अधिक बारिश होती थी। मौसम में इस बदाव को हमारा शरीर जल्दी से अनुकूलन नहीं कर पाता है जिससे हम अक्सर बीमार पड़ जाते हैं और हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान पहुँचता है। इसके अलावा, बाढ़ और सूखे जैसी आपदाएँ खाद्य आपूर्ति को प्रभावित करती हैं, जिससे हमारे दैनिक जीवन में बाधा आती है। इंसानों की तरह ही जानवरों और पौधों को भी अनुकूलन के लिए समय की आवश्यकता होती है और असंतुलित वातावरण उनके लिए केवल समस्याएँ ही पैदा करता है।

इसलिए ग्लोबल वार्मिंग से बचाव के उपाय को बड़े स्तर पर प्रचारित कर सभी को जागरूक करना जरूरी है। वनों का क्षेत्रफल बढ़ने से प्राकृतिक संतुलन बेहतर होगा। यदि हम अपने जीवनकाल में अधिक से अधिक पौधे लगाने के लिए प्रतिबद्ध हों, तो पृथ्वी एक बेहतर स्थान बन जाएगी।

विभिन्न कारकों के कारण सतही जलवायु में होने वाली क्रमिक वृद्धि को ग्लोबल वार्मिंग के रूप में जाना जाता है। यह पर्यावरण और मानवता दोनों के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों में ग्लोबल वार्मिंग भी शामिल है। ग्लोबल वार्मिंग में मुख्य योगदानकर्ता ग्रीनहाउस गैसों का अपरिहार्य उत्सर्जन है। मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड दो मुख्य ग्रीनहाउस गैसें हैं। इस वार्मिंग के कई अन्य कारण और प्रभाव हैं, जो पृथ्वी के जीवन को खतरे में डाल रहे हैं।

ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार कारण (Reasons Responsible For Global Warming in hindi)

ग्लोबल वार्मिंग के कई कारण हैं। ये समस्याएँ प्रकृति और मानवजनित दोनों के कारण उत्पन्न होती हैं। वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की उपस्थिति के कारण पृथ्वी की सतह से परावर्तित होने वाली ऊष्मा किरणें वहीं फंस जाती हैं। इस घटना का परिणाम "ग्रीनहाउस प्रभाव" है। अत्यधिक कार्बन डाइऑक्साइड के कारण ग्लोबल वार्मिंग होता है। ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनने वाली प्राथमिक गैसों को ग्रीनहाउस गैसें कहा जाता है।

मुख्य ग्रीनहाउस गैसें मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, ओजोन और कार्बन डाइऑक्साइड हैं। जब इनकी सांद्रता असंतुलित हो जाती है तो ये गैसें ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनती हैं। ज्वालामुखी विस्फोट, सौर विकिरण और अन्य प्राकृतिक घटनाएँ कुछ उदाहरण हैं जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाते हैं। लोगों द्वारा कारों और जीवाश्म ईंधन के अत्यधिक उपयोग से भी कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ता है। ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनने वाला सबसे चर्चित मुद्दा वनों की कटाई है। पेड़ों की कटाई के कारण हवा में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देने वाले अतिरिक्त कारणों में बढ़ती जनसंख्या, औद्योगीकरण, प्रदूषण आदि शामिल हैं।

जलवायु परिवर्तन हम पर कैसे प्रभाव डालता है (How Climate Change Impacts Us in hindi)

ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसम में कई बदलाव आते हैं, जिनमें लंबी गर्मी और कम सर्दी, अधिक तापमान, व्यापारिक हवाओं में बदलाव, साल भर होने वाली बारिश, ध्रुवीय बर्फ की चोटियों का पिघलना, कमजोर ओजोन अवरोध आदि शामिल हैं। इसके परिणामस्वरूप प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि हो सकती है, जिनमें गंभीर तूफान, चक्रवात, बाढ़ और कई अन्य आपदाएं शामिल हैं।

ग्लोबल वार्मिंग से होने वाले नुकसान से पौधे, जानवर और अन्य पर्यावरणीय तत्व सीधे प्रभावित होते हैं। समुद्र का बढ़ता स्तर, तेजी से ग्लेशियर का पिघलना और ग्लोबल वार्मिंग के अन्य महत्वपूर्ण प्रभाव हैं। जैसे-जैसे ग्लोबल वार्मिंग की स्थिति बिगड़ती जा रही है, समुद्री जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, जिससे समुद्री जीवन काफी हद तक नष्ट हो रहा है और अतिरिक्त समस्याएं पैदा हो रही हैं।

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ग्लोबल वार्मिंग की रोकथाम (Preventing Global Warming in hindi)

ग्लोबल वार्मिंग रोकने के लिए उचित समाधान ढूंढना अब पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग एक गंभीर मुद्दा बन गया है और अंतरराष्ट्रीय मंचों और सम्मेलनों में विश्व स्तर पर इस पर चर्चा की जा रही है। अब समय आ गया है कि औद्योगीकरण के युग को नियंत्रित किया जाए और इसे टिकाऊ विकास के तरीके से जारी रखा जाए।

ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को हल करने के लिए समुदायों से लेकर सरकारों तक सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है। प्रदूषण पर नियंत्रण, जनसंख्या वृद्धि और प्राकृतिक संसाधनों का सीमित दोहन विचार करने योग्य कुछ प्रमुख कारक हैं। सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना या दूसरों के साथ कारपूलिंग करना बहुत मददगार होगा। लोगों को रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देना होगा। प्लास्टिक का उपयोग कम करना होगा। औद्योगिक कचरे और हवा में हानिकारण गैसों के उत्सर्जन पर नियंत्रण करने से भी मदद मिलेगी।

नासा से जुड़े वैज्ञानिकों की मानें तो जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले प्रभावों की गंभीरता भविष्य की मानवीय गतिविधियों के मार्ग पर निर्भर करेगी। अधिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से हमारे ग्रह पर अधिक जलवायु परिवर्तन और व्यापक हानिकारक प्रभाव होंगे। हालाँकि, ये भविष्य के प्रभाव हमारे द्वारा उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड की कुल मात्रा पर निर्भर करते हैं। इसलिए, यदि हम उत्सर्जन को कम कर सकते हैं, तो हम कुछ सबसे बुरे प्रभावों से बच सकते हैं।

इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि से धरती पर जीवन नष्ट हो जाएगा। ग्लोबल वार्मिंग मानवता के लिए सबसे बड़ा ख़तरा है और इसे नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। साथ ही इसे संभालना भी मुश्किल है। इसलिए हमें ग्लोबल वार्मिंग रोकने वाले अभियान जैसे पेड़-पौधे लगाना, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा का उपयोग, औद्योगिकीकरण को कम करने, ग्लाेबल वार्मिंग बढ़ाने वाली चीजों जैसे एसी वगैरह का उपयोग कम करके, प्रदूषण की रोकथाम आदि की मदद से हम इसके प्रभावों को कम कर सकते हैं।

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ग्लोबल वार्मिंग का क्या प्रभाव पड़ता है जानिए इन निबंधों के द्वारा

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  • Updated on  
  • जून 6, 2023

ग्लोबल वार्मिंग

ग्लोबल वार्मिंग 21वीं शताब्दी का सबसे बड़ा खतरा है। धरती पर गर्मी खतरनाक गति से बढ़ रही है। इसके कारण शताब्दियों से जमे हिमखंड पिघल रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग क्योंकि एक बहुत गंभीर समस्या है इसलिए इस पर निबंध कई SAT , UPSC जैसी कई शैक्षणिक और शैक्षिक परीक्षाओं का एक अभिन्न अंग हैं। निबंध  लिखने में सक्षम होना किसी भी भाषा में महारत हासिल करने का एक अभिन्न अंग है। यह अंग्रेजी दक्षता परीक्षाओं के साथ-साथ IELTS , TOEFL आदि का एक महत्वपूर्ण मूल्यांकनात्मक हिस्सा है। हम कह सकते हैं कि निबंध पूरी दुनिया के आकलन के लिए अपने विचारों को स्पष्ट और स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने में एक व्यक्ति की मदद करते हैं। वे एक व्यक्ति की विश्लेषणात्मक सोच भी प्रस्तुत करते हैं और एक व्यक्ति को धाराप्रवाह अपनी राय व्यक्त करने में सक्षम बनाते हैं। इस ब्लॉग के जरिए आप ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध लिखना सीखनें के साथ इस विकट समस्या को गहराई से समझ पाएंगे। तो आइए शुरू करते हैं essay on global warming in hindi, global warming essay in hindi या ग्लोबल वार्मिंग निबंध। 

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वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों (मीथेन, कार्बन डाय ऑक्साइड, ऑक्साइड और क्लोरो-फ्लूरो-कार्बन) के बढ़ने के कारण पृथ्वी के औसत तापमान में होने वाली बढ़ोतरी को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण बढ़े हुए समुद्र के वाटर लेवल के फलस्वरूप इनका डेवलपमेंट, डिस्ट्रीब्यूशन एवं इनके द्वारा निर्मित विभिन्न टोपोग्राफिकल स्ट्रक्चर प्रभावित हो सकती हैं। इसी प्रकार बहुत सी वनस्पतियों तथा जीवों का पलायन धीरे-धीरे ध्रुवीय प्रदेशों या उच्च पर्वतीय प्रदेशों की तरफ हो सकता है।

ग्लोबल वार्मिंग पिछली शताब्दी में पृथ्वी की औसत सतह के तापमान में असामान्य रूप से तेजी से वृद्धि है, मुख्य रूप से जीवाश्म ईंधन जलाने वाले लोगों द्वारा जारी ग्रीनहाउस गैसों के कारण। ग्रीनहाउस गैसों में मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, ओजोन, कार्बन डाइऑक्साइड, जल वाष्प और क्लोरोफ्लोरोकार्बन शामिल हैं। हर गुजरते साल के साथ मौसम की भविष्यवाणी अधिक जटिल होती जा रही है, मौसम अधिक अप्रभेद्य होते जा रहे हैं और सामान्य तापमान गर्म होता जा रहा है। 21वीं सदी की शुरुआत के बाद से तूफान, चक्रवात, सूखा, बाढ़ आदि की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। इन सभी परिवर्तनों के पीछे का पर्यवेक्षक ग्लोबल वार्मिंग है। नाम काफी आत्म-व्याख्यात्मक है; इसका अर्थ है पृथ्वी के तापमान में वृद्धि।

पृथ्वी को गर्मी से बचाएं क्योंकि आप इससे अपनी रक्षा करते हैं!

global warming essay in hindi

ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध लिखते समय ग्लोबल वार्मिंग और पॉइंटर को ध्यान में रखने के विचार से परिचित होने के बाद, global warming essay in hindi के सैंपल के लिए आगे पढ़ते हैं। 

ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में वृद्धि और पिछली कुछ शताब्दियों से हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली मानवीय गतिविधियों के परिणामस्वरूप होता है। ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसी चीज है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और वैश्विक स्तर पर इस स्थिति से निपटने के लिए कदम उठाने होंगे। पिछले कुछ वर्षों से औसत तापमान में लगातार 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो रही है। भविष्य में पृथ्वी को होने वाले नुकसान को रोकने का सबसे अच्छा तरीका, अधिक वनों को काटने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए और वनीकरण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। अपने घरों और कार्यालयों के पास पेड़ लगाकर शुरुआत करें, आयोजनों में भाग लें, पेड़ लगाने का महत्व सिखाएं। नुकसान को पूर्ववत करना असंभव है लेकिन आगे के नुकसान को रोकना संभव है।

लंबे समय से, यह देखा गया है कि पृथ्वी का बढ़ता तापमान वन्य जीवन, जानवरों, मनुष्यों और पृथ्वी पर हर जीवित जीव को प्रभावित करता था। ग्लेशियर पिघल रहे हैं, कई देशों ने पानी की कमी, बाढ़, कटाव शुरू कर दिया है और यह सब ग्लोबल वार्मिंग के कारण है। ग्लोबल वार्मिंग के लिए इंसानों को छोड़कर किसी को भी दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। बिजली संयंत्रों से निकलने वाली गैसों, परिवहन, वनों की कटाई जैसी मानवीय गतिविधियों के परिणामस्वरूप पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, सीएफ़सी और अन्य प्रदूषकों जैसी गैसों में वृद्धि हुई है। मुख्य सवाल यह है कि हम वर्तमान स्थिति को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर दुनिया का निर्माण कर सकते हैं। इसकी शुरुआत प्रत्येक व्यक्ति के छोटे-छोटे कदमों से होती है।

खरीदारी के सभी उद्देश्यों के लिए टिकाऊ सामग्री से बने कपड़े के थैलों का उपयोग करना शुरू करें, उच्च वाट की रोशनी का उपयोग करने के बजाय ऊर्जा कुशल बल्बों का उपयोग करें, बिजली बंद करें, पानी बर्बाद न करें, वनों की कटाई को समाप्त करें और अधिक पेड़ लगाने को प्रोत्साहित करें। ऊर्जा के उपयोग को पेट्रोलियम या अन्य जीवाश्म ईंधन से पवन और सौर ऊर्जा में स्थानांतरित करें। पुराने कपड़ों को फेंकने के बजाय किसी को दान कर दें ताकि इसे रिसाइकिल किया जा सके। पुरानी किताबें दान करें, कागज बर्बाद न करें। सबसे बढ़कर, ग्लोबल वार्मिंग के बारे में जागरूकता फैलाएं। पृथ्वी को बचाने के लिए एक व्यक्ति जो भी छोटा-मोटा काम करता है, वह बड़ी या छोटी मात्रा में योगदान देगा।

यह महत्वपूर्ण है कि हम सीखें कि 1% प्रयास बिना किसी प्रयास के बेहतर है। प्रकृति की देखभाल करने और ग्लोबल वार्मिंग के बारे में बोलने का संकल्प लें। ऊर्जा के उपयोग को पेट्रोलियम या अन्य जीवाश्म ईंधन से पवन और सौर ऊर्जा में स्थानांतरित करें। पुराने कपड़ों को फेंकने के बजाय किसी को दान कर दें ताकि इसे रिसाइकिल किया जा सके। पुरानी किताबें दान करें, कागज बर्बाद न करें। सबसे बढ़कर, ग्लोबल वार्मिंग के बारे में जागरूकता फैलाएं। 

इस ग्रह को दर्द होता है, उसे गर्मी से मत दुखाओ।

ग्लोबल वार्मिंग भविष्यवाणी नहीं है, यह हो रहा है। इसे नकारने वाला या इससे अनजान व्यक्ति सबसे सरल शब्दों में उलझा हुआ है। क्या हमारे पास रहने के लिए कोई दूसरा ग्रह है? दुर्भाग्य से, हमें केवल यह एक ऐसा ग्रह प्रदान किया गया है जो जीवन को बनाए रख सकता है फिर भी वर्षों से हमने अपनी दुर्दशा से आंखें मूंद ली हैं। ग्लोबल वार्मिंग एक अमूर्त अवधारणा नहीं है, बल्कि एक वैश्विक घटना है जो इस समय भी इतनी धीमी गति से घटित हो रही है।

ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसी घटना है जो हर मिनट हो रही है जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी की समग्र जलवायु में धीरे-धीरे वृद्धि हो रही है। वातावरण में सौर विकिरण को फंसाने वाली ग्रीनहाउस गैसों द्वारा लाया गया, ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी के पूरे मानचित्र को बदल सकता है, क्षेत्रों को विस्थापित कर सकता है, कई देशों में बाढ़ ला सकता है और कई जीवन रूपों को नष्ट कर सकता है। चरम मौसम ग्लोबल वार्मिंग का प्रत्यक्ष परिणाम है लेकिन यह संपूर्ण परिणाम नहीं है। ग्लोबल वार्मिंग के लगभग असीमित प्रभाव हैं जो पृथ्वी पर जीवन के लिए हानिकारक हैं।

दुनिया भर में समुद्र का स्तर प्रति वर्ष 0.12 इंच बढ़ रहा है। ऐसा ग्लोबल वार्मिंग के कारण ध्रुवीय बर्फ की टोपियों के पिघलने के कारण हो रहा है। इससे कई तराई क्षेत्रों में बाढ़ की आवृत्ति बढ़ गई है और प्रवाल भित्तियों को नुकसान पहुंचा है। आर्कटिक ग्लोबल वार्मिंग से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में से एक है। वायु की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और समुद्री जल की अम्लता भी बढ़ गई है जिससे समुद्री जीवों को गंभीर नुकसान हुआ है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण गंभीर प्राकृतिक आपदाएं आती हैं, जिसका जीवन और संपत्ति पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।

जब तक मानव जाति ग्रीनहाउस गैसों का उत्पादन करती है, ग्लोबल वार्मिंग में तेजी जारी रहेगी। परिणाम बहुत छोटे पैमाने पर महसूस किए जाते हैं जो निकट भविष्य में और भीषण हो जाएंगे। दिन बचाने की ताकत इंसानों के हाथ में है, जरूरत है दिन को जब्त करने की। ऊर्जा की खपत को व्यक्तिगत आधार पर कम किया जाना चाहिए। ऊर्जा स्रोतों की बर्बादी को कम करने के लिए ईंधन कुशल कारों और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इससे वायु की गुणवत्ता में भी सुधार होगा और वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की सांद्रता कम होगी। ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसी बुराई है जिसे एक साथ लड़ने पर ही हराया जा सकता है।

पहले से कहीं ज्यादा देर हो चुकी है। अगर हम सब आज कदम उठाते हैं, तो कल हमारा भविष्य बहुत उज्जवल होगा। ग्लोबल वार्मिंग हमारे अस्तित्व का अभिशाप है और इससे लड़ने के लिए दुनिया भर में विभिन्न नीतियां सामने आई हैं लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। वास्तविक अंतर तब आता है जब हम इससे लड़ने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर काम करते हैं। एक अपरिवर्तनीय गलती बनने से पहले इसके आयात को समझना अब महत्वपूर्ण है। ग्लोबल वार्मिंग को खत्म करना अत्यंत महत्वपूर्ण है और हम में से प्रत्येक इसके लिए उतना ही जिम्मेदार है जितना कि अगले।  

ग्लोबल वार्मिंग निबंध

ग्लोबल वार्मिंग के बारे में हमेशा हर जगह सुना जाता है, लेकिन क्या हम जानते हैं कि यह वास्तव में क्या है? सबसे खराब बुराई, ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसी घटना है जो जीवन को अधिक घातक रूप से प्रभावित कर सकती है। ग्लोबल वार्मिंग से तात्पर्य विभिन्न मानवीय गतिविधियों के परिणामस्वरूप पृथ्वी के तापमान में वृद्धि से है। ग्रह धीरे-धीरे गर्म हो रहा है और उस पर जीवन रूपों के अस्तित्व को खतरा है। अथक अध्ययन और शोध किए जाने के बावजूद, अधिकांश आबादी के लिए ग्लोबल वार्मिंग विज्ञान की एक अमूर्त अवधारणा है। यह वह अवधारणा है जो वर्षों से ग्लोबल वार्मिंग को एक वास्तविक वास्तविकता बनाने में परिणत हुई है, न कि किताबों में शामिल एक कॉन्सेप्ट।

ग्लोबल वार्मिंग केवल एक कारण से नहीं होती है जिस पर अंकुश लगाया जा सकता है। ऐसे कई कारक हैं जो ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनते हैं, जिनमें से अधिकांश व्यक्ति के दैनिक अस्तित्व का हिस्सा हैं। खाना पकाने, वाहनों में और अन्य पारंपरिक उपयोगों के लिए ईंधन जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन जैसी कई अन्य ग्रीनहाउस गैसों का उत्पादन होता है जो ग्लोबल वार्मिंग को तेज करता है। बड़े पैमाने पर वनों की कटाई से ग्लोबल वार्मिंग भी होती है क्योंकि कम ग्रीन कवर के परिणामस्वरूप वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की उपस्थिति बढ़ जाती है जो एक ग्रीनहाउस गैस है। 

ग्लोबल वार्मिंग का समाधान खोजना तत्काल महत्व का है। ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसी घटना है जिससे एकजुट होकर लड़ना होगा। ग्लोबल वार्मिंग के गंभीर परिणामों को दूर करने की दिशा में अधिक से अधिक पेड़ लगाना पहला कदम हो सकता है। हरित आवरण बढ़ने से कार्बन चक्र को विनियमित किया जा सकेगा। गैर-नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग से अक्षय ऊर्जा जैसे पवन या सौर ऊर्जा में बदलाव होना चाहिए जो कम प्रदूषण का कारण बनता है और जिससे ग्लोबल वार्मिंग के त्वरण में बाधा उत्पन्न होती है। व्यक्तिगत स्तर पर ऊर्जा की जरूरतों को कम करना और किसी भी रूप में ऊर्जा बर्बाद न करना ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ उठाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण कदम है।

हम जिस शालीनता की गहरी नींद में चले गए हैं, उससे हमें जगाने के लिए चेतावनी की घंटी बज रही है। मनुष्य प्रकृति के खिलाफ लड़ सकता है और अब समय आ गया है कि हम इसे स्वीकार करें। हमारी सभी वैज्ञानिक प्रगति और तकनीकी आविष्कारों के साथ, ग्लोबल वार्मिंग के नकारात्मक प्रभावों से लड़ना असंभव है। हमें यह याद रखना होगा कि हमें अपने पूर्वजों से पृथ्वी विरासत में नहीं मिली है, बल्कि इसे अपनी आने वाली पीढ़ी से उधार लेते हैं और जीवन के अस्तित्व के लिए उन्हें एक स्वस्थ ग्रह देने की जिम्मेदारी हमारे कंधों पर है। 

ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और दुनिया भर में प्रमुख चिंता के दो मुद्दे हैं। पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, सीएफ़सी, और अन्य प्रदूषक जैसे ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनता है जिससे जलवायु परिवर्तन होता है। पृथ्वी को हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचाने वाली ओजोन परत में ब्लैक होल बनने लगे हैं। मानवीय गतिविधियों ने जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग को जन्म दिया है। ग्लोबल वार्मिंग में औद्योगिक कचरे और धुएं का प्रमुख योगदान है। प्रभावित करने वाला एक अन्य कारक जीवाश्म ईंधन का जलना, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन के कारणों में से एक है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण अंटार्कटिका, ग्रीनलैंड और आर्कटिक में पर्वतीय हिमनद सिकुड़ रहे हैं और जलवायु परिवर्तन का कारण बन रहे हैं। पवन और सौर जैसे ऊर्जा स्रोतों के लिए जीवाश्म ईंधन के उपयोग से स्विच करना। कोई भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण खरीदते समय ऊर्जा बचत वाले सितारों के साथ सर्वोत्तम गुणवत्ता खरीदें। पानी बर्बाद न करें और अपने समुदाय में वर्षा जल संचयन को प्रोत्साहित करें। 

एक शब्द जिसका आज हम आम तौर पर सामना करते हैं, वह है ग्लोबल वार्मिंग। शब्द के साथ हमारा परिचय हमारी पाठ्यपुस्तकों और उन नकारात्मक परिणामों तक सीमित है जिनके बारे में हम पढ़ते हैं। लेकिन क्या ग्लोबल वार्मिंग वास्तव में एक सैद्धांतिक अवधारणा से कहीं अधिक है। ग्लोबल वार्मिंग मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों के कारण गर्मी के फंसने के कारण पृथ्वी के धीरे-धीरे गर्म होने की घटना को संदर्भित करता है। ग्लोबल वार्मिंग का एक प्रमुख परिणाम यह है कि इससे पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होगी जिससे ध्रुवीय बर्फ की टोपियों का पिघलना, चरम जलवायु और इस तरह सामान्य कामकाज में व्यवधान जैसे गंभीर नकारात्मक प्रभाव होंगे। इसके खतरे केवल कुछ पहलुओं तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि सर्वव्यापी हैं और पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व को खतरे में डाल सकते हैं। हालांकि ग्लोबल वार्मिंग के कई कारण हैं, कुछ प्रमुख कारण दूसरों की तुलना में अधिक योगदान करते हैं। ये कारक इसकी दर को तेज करते हैं:

  • मनुष्यों की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जीवाश्म ईंधन के अत्यधिक जलने से वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों का प्रतिशत कई गुना बढ़ जाता है।
  • वनों की कटाई मानवीय जरूरतों के लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई है।
  • सतत कृषि और पशुपालन भी मीथेन को पढ़कर ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनता है जो एक प्रमुख ग्रीनहाउस गैस है।
  • रेफ्रिजरेटर और एसी जैसे उपकरणों में इस्तेमाल होने वाले क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) जैसे विभिन्न रसायनों के परिणामस्वरूप भी काफी हद तक ग्लोबल वार्मिंग होती है।

एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए ऐसे कौशल की आवश्यकता होती है जो बहुत कम लोगों के पास हो और उससे भी कम लोग जानते हों कि इसे कैसे लागू किया जाए। एक निबंध लिखते समय एक कठिन काम हो सकता है जो कई बार परेशान करने वाला हो सकता है, एक सफल निबंध का मसौदा तैयार करने के लिए कुछ प्रमुख बिंदुओं को शामिल किया जा सकता है। इनमें निबंध की संरचना पर ध्यान केंद्रित करना, इसकी अच्छी तरह से योजना बनाना और महत्वपूर्ण विवरणों पर जोर देना शामिल है। नीचे कुछ संकेत दिए गए हैं जो आपको बेहतर संरचना और अधिक विचारशील निबंध लिखने में मदद कर सकते हैं जो आपके पाठकों तक पहुंचेंगे:

  • निरंतरता और प्रासंगिकता सुनिश्चित करने के लिए निबंध की रूपरेखा तैयार करें और निबंध की संरचना में कोई व्यवधान न हो।
  • एक थीसिस स्टेटमेंट पर निर्णय लें जो आपके निबंध का आधार बनेगी। यह आपके निबंध का बिंदु होगा और पाठकों को आपके विवाद को समझने में मदद करेगा।
  • परिचय की संरचना, एक विस्तृत निकाय और उसके बाद निष्कर्ष का पालन करें ताकि पाठक बिना किसी असंगति के निबंध को एक विशेष तरीके से समझ सकें।
  • निबंध को व्यावहारिक और पढ़ने के लिए आकर्षक बनाने के लिए अपनी शुरुआत को आकर्षक बनाएं और अपने निष्कर्ष में समाधान शामिल करें।
  • इसे प्रकाशित करने से पहले इसे फिर से पढ़ें और निबंध को और अधिक व्यक्तिगत और पाठकों के लिए अद्वितीय और दिलचस्प बनाने के लिए उसमें अपनी प्रतिभा जोड़ें।  

वर्तमान में मानवीय गतिविधियों के कारण उत्पन्न ग्रीनहाउस गैसों के प्रभावस्वरूप पृथ्वी के दीर्घकालिक औसत तापमान में हुई वृद्धि को  वैश्विक  तापन/ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है ।

ग्लोबल वार्मिंग  या वैश्विक तापमान बढ़ने का मतलब है कि पृथ्वी लगातार गर्म होती जा रही है. विज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले दिनों में सूखा बढ़ेगा, बाढ़ की घटनाएँ बढ़ेंगी और मौसम का मिज़ाज बुरी तरह बिगड़ा हुआ दिखेगा. इसका असर दिखने भी लगा है. ग्लेशियर पिघल रहे  हैं  और रेगिस्तान पसरते जा रहे  हैं .

वर्ल्ड मिटियोरॉलॉजिकल ऑर्गेनाइज़ेशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्बन डाइऑक्साइड, मिथेन और नाइट्रस ऑक्साइड की मात्रा औद्योगिक युग की शुरुआत के बाद से सबसे ज़्यादा है. इन गैसों से ही  ग्लोबल वार्मिंग  होती है.

हमें उम्मीद है कि इस ब्लॉग से आपको ग्लोबल वार्मिंग से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त हुई होगी। इसी और अन्य तरह के ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहिए।

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रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।

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ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (Essay On Global Warming In Hindi)

Essay On Global Warming In Hindi

In this Article

ग्लोबल वार्मिंग पर 10 लाइन का निबंध (10 Lines On Global Warming In Hindi)

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दुनिया भर में कई ऐसी गंभीर समस्याएं बढ़ती जा रही हैं, जिनसे मानव जीवन पर बुरा असर पड़ रहा है। प्रदूषण, वनों की कटाई आदि हमारी धरती को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। लेकिन इन सब में सबसे गंभीर स्थिति ग्लोबल वार्मिंग की है। इस नाम से ही इससे संबंधित समस्या का अंदाजा आप सभी को जरूर हो गया होगा। हमारी धरती की सतह पर लगातार बढ़ रहे तापमान को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है। यह समस्या इंसानों की लापरवाही से बढ़ती जा रही है क्योंकि हम अपनी सुविधाओं के लिए कई ऐसी चीजों का उपयोग कर रहे हैं जिनसे प्रदूषण बढ़ रहा है और प्रदूषण ही ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण है। यह समस्या धरती के लिए खतरा बनती जा रही है और इसका समाधान निकालना अनिवार्य हो गया है। कई बार मनुष्य अपने मतलब के लिए पर्यावरण को हानि पहुंचाने से पीछे नहीं हटता और समस्या को अनदेखा कर देता है। ग्लोबल वार्मिंग ज्यादातर ग्रीन हाउस गैसें जैसे सीओ2, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, आदि की वजह से बढ़ता है साथ ही जब पृथ्वी पर पानी अधिक मात्रा में भाप का रूप ले लेता है तो वह यहाँ का तापमान बढ़ाता है और यह भी इसका एक कारण है। ऐसी और भी कई गंभीर स्थितियां मौजूद हैं, जो इंसानों की वजह से उत्पन्न होती हैं। इस लेख में ग्लोबल वार्मिंग का वर्णन निबंध के रूप में किया गया और इसके प्रक्रोप अथवा समाधानों के बारे में भी बताया गया है। अगर आपके बच्चे को स्कूल में इस विषय पर निबंध लिखने को कहा गया है तो यहाँ दिए गए सैंपल निबंध आपके काम आएंगे।

ग्लोबल वार्मिंग का खतरा धरती पर तेजी से बढ़ता जा रहा है और यदि सही वक्त पर इसका समाधान नहीं निकाला गया तो हमारी आने वाली पीढ़ियों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा। यहाँ इस पर 10 लाइन के एक निबंध का प्रारूप है जिससे 100 शब्दों में एक छोटा निबंध भी लिखा जा सकता है।

  • ग्लोबल वार्मिंग का मतलब धरती के तापमान में जरूरत से अधिक वृद्धि होना है।
  • ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण ग्रीनहाउस गैसों को माना जाता है।
  • कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसी गैसें इसे बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • सीओ2 जैसी गैस का उत्पादन करने वाली इंडस्ट्री ग्लोबल वार्मिंग बढ़ा रही हैं।
  • 1880 के बाद से हर साल, औसत वैश्विक तापमान में लगभग 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है।
  • जंगलों में पेड़ों की कटाई ग्लोबल वार्मिंग में भूमिका निभाती है।
  • ग्लोबल वार्मिंग की समस्या की वजह से मौसम में कई बदलाव होते हैं।
  • धरती के बढ़ते तापमान की वजह से ग्लेशियर पिघल रहें और और समुद्र का स्तर बढ़ रहा है।
  • इसके कारण मानसून में परिवर्तन आता है और मौसम में गड़बड़ी होती है।
  • ओजोन की परत भी घटती जा रही है, जो हमें सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाती है।

यदि आपका बच्चा छोटा है और उसे ग्लोबल वार्मिंग के बारे में नहीं पता है तो हमारे द्वारा लिखे गए शॉर्ट एस्से उसे पढ़ाएं ताकि उसे कम और सही शब्दों में विषय की जानकारी हो और एक छोटा और बेहतरीन निबंध लिखने के लिए वह इसे याद भी कर सकता है।

इन दिनों ग्लोबल वार्मिंग ने एक गंभीर समस्या का रूप ले लिया है और यह समस्या हर दिन बढ़ती जा रही है। वातावरण में जब हानिकारक गैसों की वृद्धि अधिक हो जाती है तो वह धरती की ऊपरी सतह में समा जाती हैं जिसके कारण धरती का तापमान अधिक हो जाता है और इस समस्या को ग्लोबल वार्मिंग का नाम दिया गया है। इस समस्या का मुख्य कारण ग्रीन हॉउस गैसें जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन आदि का बहुत ज्यादा मात्रा में होने वाला उत्सर्जन है। इन गैसों के प्रक्रोप से धरती को बहुत नुकसान झेलना पड़ रहा है। लेकिन मनुष्य इस समस्या को उत्पन्न करने में अहम भूमिका निभाता है। मनुष्यों की लापरवाही से ही धरती में प्रदूषण बढ़ रहा है और प्रदूषण भी ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देता है। यह समस्या किसी एक देश की नहीं है बल्कि पूरे विश्व में फैली है। देशों में औद्योगीकरण और विकास के लिए कई कारखाने, इंडस्ट्रीज स्थापित हो रहे हैं, लेकिन इनसे निकलने वाले हानिकारक पदार्थ, रसायन, धुआं, प्लास्टिक आदि प्रकृति को प्रभावित कर रहे हैं। जिसकी वजह से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या काफी गंभीर रूप ले चुकी है। सूरज से आने वाली अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाव करने वाली ओजोन लेयर में भी छेद हो रहा है, जो काफी खतरनाक साबित हो सकता है। धरती पर गर्मी बढ़ती जा रही है, जिसकी वजह से मौसम पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। गर्मी बढ़ती जा रही है और ठंड में कमी आ गई है। इस गर्मी की वजह से कई ग्लेशियर पिघल रहे हैं और इनका पानी समुद्र में समा रहा। ऐसे में समुद्र का स्तर बढ़ रहा है और खतरा भी। यदि ग्लोबल वार्मिंग इसी तरह बढ़ता रहा तो वह समय दूर नहीं होगा जब धरती की मौजूदगी खतरे में पड़ जाएगी। इसलिए हमें अभी से ही लोगों को इसके प्रति जागरूक करना होगा और सरकार को भी कई ऐसी योजनाओं का आयोजन करना जिनमें इस समस्या की गंभीरता के बारे में विस्तार से बताया जाए ताकि देश के लोग इसे रोकने के लिए जरूरी कदम उठाएं।

Short Essay on Global Warming in Hindi

प्रकृति ने मनुष्य को बहुत कुछ दिया है और अगर हम प्रकति के साथ छेड़छाड़ करेंगे तो उसका बुरा परिणाम हमें ही भुगतना पड़ेगा। यही हाल ग्लोबल वार्मिंग के कारण हो रहा है। यदि आपके बच्चे को ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या के बारे में जानकारी चाहिए या फिर वह इस पर निबंध लिखना चाहता है तो नीचे लिखे 400-600 शब्दों में सीमित निबंध की मदद ले सकता है।

ग्लोबल वार्मिंग क्या है? (What Is Global Warming?)

जब धरती के वातावरण में मीथेन, कार्बन डाइऑक्साइड और क्लोरो-फ्लोरो-कार्बन आदि ग्रीन हाउस गैसों का प्रक्रोप अधिक होने लगे और जिसकी वजह से तापमान में वृद्धि हो तो इस समस्या को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है। आज के समय में इंसान कई नई तकनीकों का इस्तेमाल देश के विकास के लिए कर रहा है। लेकिन इन विकसित कार्यों की वजह से मनुष्य हमारे पर्यावरण को लगातार हानि पहुंचा रहा है। इन समस्याओं की वजह से हमारी प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है और कई बुरे प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। जैसे अधिक तापमान बढ़ना, मौसम में बदलाव आना, ग्लेशियर पिघलना आदि। इनकी वजह से आने वाले समय में लोगों को पानी की किल्लत अधिक हो सकती है। ग्लोबल वार्मिंग की समस्या सिर्फ एक देश की नहीं बल्कि पूरी दुनिया का प्रमुख समस्या बनी हुई है और इसको बढ़ाने के पीछे मनुष्य का हाथ है। अगर समय रहते इस समस्या को नियंत्रित नहीं किया गया तो इंसानों के साथ-साथ पृथ्वी पर रहने वाली सभी जीवों को जान का खतरा हो सकता है।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण (Reason of Global Warming)

हमारा वातावरण में कई कारणों की वजह से प्रदूषित हो रहा है लेकिन ग्लोबल वार्मिंग एक अहम समस्या बन गई है और इसके पीछे कुछ महत्वपूर्ण कारण मौजूद हैं –

प्रदूषण – धरती पर प्रदूषण दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा और जिसकी वजह से तापमान में वृद्धि हो रही है। तापमान में वृद्धि होना ग्लोबल वार्मिंग की समस्या का प्रभाव अधिक बढ़ाता है। वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण तथा भूमि प्रदूषण ये सभी कहीं न कहीं हमारी पृथ्वी को नुकसान पहुंचा रहे हैं। लेकिन इनसे निकलने वाली खतरनाक गैसें धरती के ऊपरी स्तर या वायुमंडल को प्रभावित कर रही हैं, जिनकी वजह से तापमान में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है ।

ग्रीन हॉउस गैस – यह साफ है कि ग्रीन हॉउस गैसों के कारण ही ग्लोबल वार्मिंग जैसी खतरनाक समस्या बढ़ रही है। ये गैसें सूर्य से आने वाली गर्मी को अपने अंदर समा लेती हैं। इन सभी गैसों में सबसे खतरनाक सीओ2 गैस है और यदि यह गैस बाकी अन्य जैसे क्लोरीन, नाइट्रोजन ऑक्साइड, मीथेन गैसों से मिलती हैं तो यह हमारी धरती की ऊपरी सतह के रेडियोएक्टिव संतुलन को बिगाड़ते हैं क्योंकि इनमें गर्मी को सोखने की क्षमता अधिक होती है जिसकी वजह से धरती का तापमान बढ़ जाता है।

बढ़ती आबादी – विश्व में बढ़ने वाली आबादी भी इसका अहम कारण है। क्योंकि सीओ2 जैसी गैस मनुष्य ऑक्सीजन लेते वक्त बाहर छोड़ता है, जिसकी वजह से वातावरण में इसकी मात्रा अधिक हो जाती है। इसी कारण ग्लोबल वार्मिंग समस्या बढ़ने लगती है।

जंगलों की कटाई – यह ज्सबको पता है कि इंसान विकास के नाम पर जंगलों की कटाई कर रहा है और प्रकृति को हानि पहुंचा रहा है। हमारे वातावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए पेड़ अहम भूमिका निभाते हैं लेकिन इनके कटने से धरती पर गर्मी बढ़ती जा रही है और ग्लेशियर पिघलकर का समुद्र स्तर बढ़ा रहे हैं। जिसके परिणाम स्वरूप कई देश पानी में डूब सकते हैं या फिर इससे काफी तबाही मच सकती है।

औद्योगिक विकास – शहरों के विकास के लिए मानव कई इंडस्ट्रीज और कारखानों का उपयोग कर रहा है। इन्हीं कारखानों से निकलने वाले हानिकारक रसायन, जहरीले पदार्थ, गंदा धुआं और प्लास्टिक आदि पृथ्वी को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

ओजोन लेयर का घटना – अंटाकर्टिका में ओजोन की परत घटती जा रही है जो कि ग्लोबल वार्मिंग का अहम संकेत माना गया है और यह क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैस के बढ़ जाने की वजह से हो रहा है। यह समस्या भी इंसानों की देन है क्योंकि इंडस्ट्रीज से लेकर घर तक क्लोरो फ्लोरो कार्बन का नियमित उपयोग किया जा रहा है, जिससे की ओजोन को बहुत नुकसान हो रहा है।

ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम (Consequences Of Global Warming)

पूरे विश्व में ग्लोबल वार्मिंग एक गंभीर समस्या बन गयी है जिसकी वजह से हमारी प्रकृति को कई तरह से अनचाहे बदलावों से गुजरना पड़ रहा है। कई ऐसी प्राकृतिक घटनाएं है, जैसे बाढ़, सूखा, तूफान आदि जो पृथ्वी का भयंकर नुकसान पहुंचा रहे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं ग्लोबल वार्मिंग की वजह धरती के लिए सबसे जरूरी ओजोन की परत भी घटती जा रही है। ओजोन लेयर सूरज से आने वाली हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों से धरती को बचाता है। लेकिन अब इसमें छेद होने लगे हैं और यदि यह समस्या ऐसे ही बढ़ती गई तो धरती में मनुष्य के साथ किसी भी अन्य जीवों का गुजारा नामुमकिन है। सूरज से आने वाली ये किरणें बेहद हानिकारक होती हैं। सिर्फ इतना ही नहीं इन दिनों ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसम में भी कई तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं। धरती पर गर्मी बढ़ती जा रही है और सर्दी का समय कम होता जा रहा है। बढ़ती गर्मी की वजह से ग्लेशियर पिघल रहे हैं और उसका पानी समुद्र में जा रहा है जिसकी वजह से समुद्र का स्तर बढ़ रहा है जो कि खतरनाक स्थिति पैदा कर सकता है।

ग्लोबल वार्मिंग रोकने के उपाय (Ways To Prevent Global Warming)

इस समस्या को रोकने के कई उपाय दिए गए हैं जिनका पालन करने से इसमें कमी आ सकती है –

  • हमें लोगों को इस समस्या के लिए जागरूक करना होगा ताकि वह इसकी गंभीरता को समझ सकें।
  • सरकार को ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या के लिए कई योजनाएं बनानी चाहिए जिससे लोगों को इसके दुष्परिणामों की जानकारी हो।
  • जो वस्तु ग्रीन हाउस गैसें का उत्पादन अधिक करती हैं, उनका उपयोग कम करना चाहिए।
  • खुद के निजी वाहन का उपयोग कम कर के सार्वजनिक वाहनों का उपयोग बढ़ा दें।
  • जंगलों को नहीं काटना चाहिए बल्कि जितना हो सके अधिक पेड़-पौधे लगाएं।
  • एयर कंडीशनर का उपयोग जरूरत भर के लिए ही करें।
  • देश की आबादी को नियंत्रित करना जरूरी है।
  • प्लास्टिक की थैलियों की वजह कपड़े के थैले इस्तेमाल करें।
  • गैसोलीन का इस्तेमाल कम से कम करें।

ग्लोबल वार्मिंग के बारे में रोचक तथ्य (Interesting Facts about Global Warming in Hindi)

  • आईपीसीसी 2007 की एक रिपोर्ट के हिसाब से ग्लोबल वार्मिंग के कारण इस सदी के आखिर तक समुद्र का स्तर 7-23 इंच बढ़ जाएगा।
  • एक स्टडी के अनुसार, 20वीं सदी के आखिर के दो दशक पिछले 400 सालों में सबसे गर्म रहे हैं।
  • ग्लोबल वार्मिंग के कारण आर्कटिक की बर्फ तेजी से पिघल रही है और ऐसा अनुमान है कि 2040 तक यहाँ पूरी बर्फ पिघल जाएगी।
  • ग्लोबल वार्मिंग के कारण के कारण विश्व भर में जंगल की आग, लू और भयंकर तूफानों के प्रभाव बढ़ गए हैं।
  • मनुष्य अपनी रोज की गतिविधियों के कारण साल में लगभग 37 बिलियन मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड निकाल रहा है।
  • इसके कारण दुनिया की ठंडी जगहें गर्म हो रही हैं, जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।

धरती मनुष्यों के लिए बहुत खूबसूरत तोहफा है और इसको संभालकर रखना भी उनकी ही जिम्मेदारी है। ऐसे में ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को ध्यान में रखते हुए इस निबंध को लिखा गया है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी हमारे पर्यावरण के खतरों को समझे और इसकी देखभाल और कदर कर सकें। इस निबंध से बच्चों में जागरूकता फैलेगी और वे आगे आने वाले समय में परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए धरती को कम से कम नुकसान पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

1. ग्लोबल वार्मिंग की वर्तमान दर क्या है?

पिछले 5 दशकों में वैश्विक तापमान में औसत वृद्धि 1.2 डिग्री सेल्सियस से अधिक है।

2. पृथ्वी का सबसे गर्म दशक कौन सा रहा है ?

पृथ्वी का सबसे गर्म दशक 2000-2009 तक रहा है।

यह भी पढ़ें:

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) पर्यावरण पर निबंध (Essay On Environment In Hindi) जल प्रदूषण पर निबंध (Essay On Water Pollution In Hindi)

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